निलंबित एसएचओ शैंकी चौधरी के समर्थन में उठी आवाज, बोले लोग पुलिस वाले भी इंसान हैं, गलतियां हो जाती हैं

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​निलंबित राजपुर थाना प्रभारी शैंकी चौधरी को लेकर जहां एक ओर उनका निशाना बनाया जा रहा हैं, वहीं बहुत से लोग ऐसे भी है जिनका मानना है कि पुलिस वाले भी इंसान होते हैं और गलतियां हो जाती है। इसका मतलब ये नहीं कि शैंकी चौधरी को विलन बना दिया जाए। कई लोग ये भी सवाल उठा रहे है कि शैंकी चौधरी वर्दी में नहीं थे और शराब पीना कोई गुनाह नहीं है। उन्होंने एक्सीडेंट के बाद किसी पर थानेदार होने का रौब भी ग़ालिब नहीं किया जबकि उन्हें वीडियो बनाने के दौरान उकसाया भी गया। हालांकि घटना के बाद पुलिस ने उन पर मुकदमा दर्ज ले लिया है और उनको निलंबित भी कर दिया गया।

लेकिन लोगों का कहना है कि शैंकी चौधरी के ड्यूटी के दौरान अच्छे कार्यों को भी देखना चाहिए। स्थानीय निवासी रवि रावत ने बताया कि बतौर एसएचओ  शैंकी चौधरी का व्यवहार जनता से अच्छा रहा है। उन्होंने हमेशा पीड़ित पक्ष को तुरंत न्याय दिलाने के लिए काम किया है। यही नहीं आपदा के समय में भी वो पहली पंक्ति में खड़े होकर अपना फर्ज निभा रहे थे। 

​सोशल मीडिया पर शैंकी चौधरी के समाजहित में किए गए कार्यों की तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिनके माध्यम से उनके समर्थक यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि एक गलती को उनकी पूरी छवि पर हावी नहीं होने देना चाहिए।

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 ‘गलती हर इंसान से हो सकती है’

​चौधरी के पक्ष में सामने आए लोगों में से एक, सतपाल धनिया का कहना है कि, “गलती हर इंसान से हो सकती है, एसएचओ शैंकी चौधरी से भी हुई और उन्होंने उसका खामियाजा भी भुगता। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें विलेन घोषित कर दिया जाए।” 

समर्थकों ने इस बात पर भी जोर दिया कि शैंकी चौधरी ने अपने कार्यकाल के दौरान कई अच्छे कार्य किए हैं और समाजहित में हमेशा आगे रहे हैं। उनकी सक्रियता और तत्परता की वजह से कई बड़े अपराधों का खुलासा हुआ है, जो उनकी ड्यूटी के प्रति समर्पण को दर्शाता है।

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नौकरी का दबाव और ‘मजबूरी’ का सवाल

​पुलिस की नौकरी की 24 घंटे की प्रकृति को भी उनके बचाव में एक तर्क के रूप में सामने रखा गया है। समर्थकों का कहना है कि आपातकालीन फोन आने पर पुलिस अधिकारियों को कई बार तत्काल घर से निकलना पड़ता है। ऐसी स्थिति में, यदि ‘दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति’ में वे नशे की हालत में बाहर निकल आए हों, तो इसे केवल ‘एक गलती’ के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि उनकी पूरी छवि को खराब करने का आधार। यह सवाल भी उठाया गया है कि किन कारणों से उन्हें नशे की हालत में घर से बाहर निकलना पड़ा, यह जानना भी जरूरी है, हो सकता है यह उनकी मजबूरी रही हो।

‘एजेंडे’ से छवि पर असर का आरोप

पुलिस विभाग के समर्थकों ने यह भी आरोप लगाया है कि कुछ लोग इस घटना को ‘बढ़ा-चढ़ाकर पेश’ कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य पुलिस की छवि पर प्रतिकूल असर डालना है। उनका कहना है कि शैंकी चौधरी की एक व्यक्तिगत गलती को आधार बनाकर पूरी फोर्स को बदनाम करना अनुचित है। सोशल मीडिया पर हो रही ट्रोलिंग पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रवृत्ति न केवल व्यक्ति विशेष, बल्कि समग्र पुलिस विभाग की छवि को भी नुकसान पहुंचा सकती है।

कर्तव्यनिष्ठ लेकिन एक गलती ने किया विवादित

​शैंकी चौधरी ने अपनी पुलिस ड्यूटी में हमेशा नेक कार्यों को प्राथमिकता दी है और जनता की सेवा में तत्पर रहे हैं। विपरीत परिस्थितियों में भी उन्हें कर्तव्य के प्रति सजग और अनुशासित पुलिसकर्मी माना जाता है। हालांकि, शराब पीना उनका व्यक्तिगत शौक हो सकता है, लेकिन नशे की हालत में घर से निकलना एक गंभीर मामला है। इन सब के बावजूद, समर्थकों का मानना है कि एक गलती के लिए उन्हें ‘अपराधी’ की तरह पेश करना सही नहीं ठहराया जा सकता।