सरकार की तैयारियों पर पानी फेरता नगर निगम हरिद्वार, सफाई व्यवस्था का अभी बुरा हाल, कांवड़ में क्या होगा, अब कर्मचारी घोटाला सामने आया

सरकार की तैयारियों पर पानी फेरता नगर निगम हरिद्वार, सफाई व्यवस्था का अभी बुरा हाल, कांवड़ में क्या होगा, अब कर्मचारी घोटाला सामने आया
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नगर निगम हरिद्वार : राज्य सरकार जहां एक ओर कांवड़ मेले की तैयारियों में जुटी है। वहीं दूसरी ओर हरिद्वार नगर निगम सफाई व्यवस्था को पटरी पर नहीं ला पाया है। भूमि घोटाले से पहले ही नगर निगम हरिद्वार अपनी किरकिरी करा चुका है। लेकिन निगम सफाई व्यवस्था को लेकर संजीदा नहीं दिख रहा है। पहले भी सफाई व्यवस्था का बुरा हाल था और अब भी हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं।

नगर निगम हरिद्वार

कचरा प्रबंधन में फेल नगर निगम हरिद्वार
कचरा प्रबंधन पर करोड़ों खर्च करने के बाद भी नगर निगम हरिद्वार कचरा का वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन करने में विफल रहा है। कचरे का ना तो सोर्स सेगरीगेशन हो रहा है और ना ही कचरा को समय पर उठाया जा रहा है। सराय प्लांट में कचरे को ऐसे ही डाल दिया जाता है। शहर के अधिकतर हिस्सों में कचरा प्रबंधन का बुरा हाल है। खासोआम की शिकायतों के बाद भी निगम के अफसरों के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है।

वीआईपी इलाकों में भी बुरा हाल
शहर की सफाई व्यवस्था का ये हाल है कि आम और मलिन बस्तियों को तो छोड ही दें बल्कि वीआईपी इलाकों में भी सफाई व्यवस्था आए दिन चरमराती रहती है। स्पोस्ट्स काम्पलेक्स हरिद्वार के बगल में कचरा प्रबंधन निगम की खुली पोल खोल रहा है। यहां हालात ऐसे हैं कि कूडे की बदबू के कारण सडक से गुजर भी नहीं सकते हैं। फोटो इसकी साफ पोल खोल रहे हैं। वीआईपी इलाकों का ये हाल है तो आम इलाकों में क्या स्थिति होगी आप अंदाजा ही लगा सकते हैं।

सरकार की तैयारियों पर पानी फेरता नगर निगम हरिद्वार, सफाई व्यवस्था का अभी बुरा हाल, कांवड़ में क्या होगा, अब कर्मचारी घोटाला सामने आया
सरकार की तैयारियों पर पानी फेरता नगर निगम हरिद्वार, सफाई व्यवस्था का अभी बुरा हाल, कांवड़ में क्या होगा, अब कर्मचारी घोटाला सामने आया

नगर निगम हरिद्वार

निगम में सामने आया कर्मचारी घोटाला
वहीं नगर निगम में भूमि घोटाले के बाद अब कर्मचारी घोटाला सामने आया है। जांच में पाय गया कि सफाई कर्मचारी मुहैया कराने वाली दो कंपनियों ने दावे के अनुसार कर्मचारी उपलब्ध नहीं कराए। बल्कि इन्होंने फर्जी तरीके से उपस्थिति दर्शायी, जांच में पाया गया कि जो कर्मचारी बताए गए थे वो कर्मचारी मौके पर पाए ही नहीं गए। इस पर नगर आयुक्त नंदन कुमार ने शुभारंभ सर्विसेज, लिब्बरहेडी और आरके एंड कंपनी गुरुग्राम पर पचास पचास हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। लेकिन सवाल ये है कि धोखाधडी के इस मामले में सिर्फ जुर्माने तक कार्रवाई सीमित क्यों रही। क्यों इन दोनों फर्मों को ब्लेकलिस्ट नहीं किया गया और जिन पर मुकदमा दर्ज कराया जाना चाहिए था, उन को जुर्माना लगाकर हिदायत देकर काम पर लगा दिया गया।