नगर निगम हरिद्वार सराय कूड़ा प्लांट के पास खरीदी गई जमीन को लेकर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। निगम का तर्क है कि जमीन को सर्किल रेट के अनुसार खरीदा गया लेकिन सवाल ये है कि तहसील प्रशासन ने कृषि भूमि को अकृषि में इतनी फुर्ती से कैसे बदल दिया। और सवाल ये भी है कि लैंड यूज चेंज होते ही निगम ने डील को अमली जामा पहना दिया। जो जमीन निगम को छह हजार रुपए वर्ग मीटर मिल सकती थी आर लैंड यूज बदले जाने के बाद 25 हजार वर्ग मीटर हो गई। अब इस मामले की जांच सीनियर आईएएस रणवीर चौहान कर रहे हैं। फिलहाल खाते सीज हो गए हैं लेकिन क्या इस खेल से पर्दा उठ पाएगा।
ऐसे हुई 15 से 54 करोड़ रुपए कीमत
भूमि का लैंड यूज कृषि था। तब उसका सर्किल रेट छह हजार रुपये के आस पास था। यदि भूमि को कृषि भूमि के तौर पर खरीदा जाता, तब उसकी कुल मलकीयत पंद्रह करोड़ के आस पास होती। पर, लैंड यूज चेंज कर खेले गए खेल के बाद भूमि की कीमत 54 करोड़ के आस पास हो गई। खास बात ये है कि अक्टूबर में एसडीएम अजयवीर सिंह ने लैंड यूज बदला और चंद दिनों में ही निगम निगम हरिद्वार ने एग्रीमेंट कर दिया और नवंबर में रजिस्ट्री कर दी।
नगर निगम हरिद्वार
क्या है पूरा मामला
नगर निगम हरिद्वार ने नवंबर 2024 में सराय कूड़ा निस्तारण केंद्र से सटी 33 बीघा भूमि का क्रय किया था। ये भूमि 54 करोड़ रुपए में खरीदी थी जबकि छह करोड़ रुपए स्टाप ड्यूटी के तौर पर सरकारी खजाने में जमा हुए थे। 2024 में तब नगर प्रशासक आईएएस वरुण चौधरी थे। जमीन खरीद मामले में मेयर किरण जैसल ने सवाल खड़े किए थे। जिसके बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले की जांच सीनियर आईएएस अफसर रणवीर सिंह को सौंपी थी। अब इस मामले में जमीन को बेचने वाले किसान के खातों को फ्रीज करने के आदेश कर दिए गए हैं।