बदला: क्या स्वामी खेमे की शह पर मदन कौशिक के पुराने साथी बगावत कर रहे हैं, क्या है रणनीति

बिंदिया गोस्वामी।

पिछले 20 वर्षों में पहली बार मदन कौशिक को अपनी ही विधानसभा सीट पर अपने ही खास नेताओं के बागी तेवरों से दो चार होना पड़ रहा है। मदन कौशिक के सामने दोनों नेताओं ने पार्टी फोरम पर अपनी दावेदारी पेश की है। हालांकि चुनाव के समय टिकट के लिए दावेदारी पेश करना आम बात है और कई अन्य सीटों पर भी भाजपा नेता ऐसा ही कर रहे हैं। लेकिन बतौर प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के सामने उनके ही खास रहे मनोज गर्ग और कन्हैया खेवरिया ने जिस तरह से दावेदारी पेश की उससे मदन खेमा पशोपेश की स्थिति में है।

वही सूत्रों की माने तो कन्हैया खेवरिया और मनोज गर्ग की दावेदारी के पीछे मदन कौशिक के विरोधी खेमे स्वामी यतीश्वरानंदरा गुट का हाथ है। गौरतलब है कि प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और गन्ना मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद के बीच पुरानी अदावत है और दोनों एक दूसरे को पसंद नहीं करते हैं। पहले मदन कौशिक सत्ता की धुरी थे अब स्वामी धामी सरकार में मजबूत मंत्री है लिहाजा स्वामी यतीश्वरानंद भी पुराना हिसाब बराबर करने में लगे हैं। कन्हैया खेवरिया और मनोज गर्ग के अचानक बागी बनने के पीछे स्वामी यतीश्वरानंद गुट की शह का एक कारण यह भी माना जा रहा है कि स्वामी यतीश्वरानंद को मदन कौशिक के खास रहे नरेश शर्मा का हरिद्वार ग्रामीण में से चुनाव लड़ना भा नहीं रहा है और स्वामी खेमा यह मानता है कि नरेश को मदन कौशिक ने चुनाव में नुकसान पहुंचाने के लिए आम आदमी पार्टी ज्वाइन कराई है। नरेश शर्मा बहुत ही आक्रामक तरीके से हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर चुनाव की तैयारी कर रहे हैं और जैसे-जैसे नरेश शर्मा की ताकत बढ़ेगी उतना ही नुकसान स्वामी यतिस्वरानंद को चुनाव में होगा। हालांकि मदन कौशिक नरेश शर्मा के चुनाव लड़ने के फैसले से खुद को अलग कर गए हैं और सूत्रों के मुताबिक नरेश शर्मा को उन्होंने इसके लिए भला बुरा भी कहा था।

लेकिन हरिद्वार नगर सीट पर ताजा घटनाक्रम के बाद मदन कौशिक खेमा अपने दो पुराने साथियों के चुनाव की दावेदारी पेश करने से हतोत्साहित है। वही स्वामी यतीश्वरानंद ने बताया कि वो पुरानी बातें भूल चुके हैं। मेरा विश्वास पार्टी में है पार्टी के सभी विधायकों को जिताने का मेरा लक्ष्य है। जहां तक सवाल नगर सीट पर भाजपा के अन्य नेताओं के दावेदारी करने का है तो यह सब का अधिकार है और पार्टी फोरम पर सभी को टिकट मांगने का अधिकार है। यह पार्टी तय करेगी कि किसको टिकट दिया जाए और किसको नहीं। लेकिन सिर्फ दावेदारी करने से किसी को भी बदले की भावना से कार्रवाई करने से बचना चाहिए। गौरतलब है कि कन्हैया को कुछ दिन पहले ही युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष पद से पद मुक्त कर दिया गया था। जिसको लेकर सोशल मीडिया पर काफी बवाल मचा हुआ है।

वरिष्ठ पत्रकार आदेश त्यागी बताते हैं कि मदन कौशिक 20 सालों से हरिद्वार से विधायक हैं और हरिद्वार में उन्होंने एक छत्र राज किया है लेकिन अब लगता है समय बदल रहा है। मनोज गर्ग उनके पुराने साथी रहे हैं और मनोज को चुनाव जिताने में मदन कौशिक का बहुत बड़ा हाथ था। मदन कौशिक के सामने मनोज गर्ग का दावेदारी पेश करना हैरानी वाला कदम है। इसमें कोई दो राय नहीं कि स्वामी यतीश्वरानंद मंत्री बनने के बाद काफी मजबूत हुए हैं और हरिद्वार के भाजपा नेताओं से उनकी नजदीकी आगे बढ़ी है लेकिन कोई खुलकर कहने को कुछ भी तैयार नहीं है। वही कन्हैया ने भी अपनी दावेदारी पेश कर दी है। हालांकि देखना दिलचस्प होगा की पार्टी मदन कौशिक को प्रदेश अध्यक्ष होने के बावजूद चुनाव लडाती है या नहीं और अगर मदन कौशिक चुनाव नहीं लड़ते हैं तो उनके परिवार से किसीको टिकट मिलेगा या फिर अन्य किसी की लॉटरी खुलेगी।

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