विकास कुमार।
उत्तराखंड में सत्ता परिवर्तन के लिए कांग्रेस के दूसरे चरण की परिवर्तन यात्रा शनिवार को हरिद्वार से शुरू हुई। इस यात्रा में कांग्रेस के वर्तमान नेता शामिल हुए जो विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदार हैं। माना जा रहा था कि परिवर्तन यात्रा के जरिए कॉन्ग्रेस माहौल बनाने की कोशिश कर रही है। लेकिन क्या कांग्रेस अपनी इस कोशिश में कामयाब हो पाई या फिर कांग्रेस को एक बार फिर सत्ता परिवर्तन से पहले अपने कार्य शैली में परिवर्तन करने की जरूरत है। क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार आइए जानते हैं…
क्या कहते है वरिष्ठ पत्रकार
वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि डोभाल ने बताया कि दूसरे चरण की परिवर्तन यात्रा को लेकर कांग्रेस में बहुत ज्यादा उत्साह था और लगभग सभी दावेदारों ने शहर को पोस्टर बैनर से पाट दिया था। लेकिन यात्रा की अगर बात करें तो कांग्रेस जनता का मिजाज अपने पक्ष में बनाने में नाकाम साबित हुई है। कांग्रेस के जो पुराने चेहरे और कार्यकर्ता कार्यक्रमों में उपस्थित होते आए हैं वही नेता और कार्यकर्ता भी परिवर्तन यात्रा में नज़र आये। आम लोगों की भागीदारी नहीं थी। यहां तक कि लोग ना तो उत्तराखंड परिवर्तन यात्रा को देखने के लिए बाहर निकले। व्यापारी संगठन हो या फिर दूसरे लोग सब कांग्रेस की सत्ता परिवर्तन यात्रा से उत्साहित नजर नहीं आए। हर की पैड़ी पर कुछ भीड़ जरूर नजर आती है लेकिन जैसे ही यात्रा मध्य हरिद्वार में घुसती है वहां कांग्रेस फिर अपने दो चार वाहनों के साथ आगे बढ़ती चली गई। यही नहीं रानीपुर विधानसभा में जहां सभा आयोजित की गई थी वहां भी कुर्सियां खाली थी। यह कांग्रेस की बहुत बड़ी खामी है कि वह तमाम नकारात्मक माहौल होने के बाद भी जनता का माहौल अपने पक्ष में करने में नाकाम साबित हो रही है।
वरिष्ठ पत्रकार रुपेश वालिया बताते हैं कि कांग्रेस के नेता हवाई दावे कर रहे हैं जबकि जमीन पर कुछ नहीं है। यह सही है कि जनता भाजपा सरकार से खुश नहीं है और परिवर्तन चाहती है लेकिन कांग्रेस जनता को विकल्प देने में अभी तक पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है। हालांकि यात्रा में हरीश रावत के ना होने से भी सत्ता परिवर्तन यात्रा पर असर पड़ा है। अगर हरीश रावत होते तो शायद परिवर्तन यात्रा में कुछ दम नजर आता। उन्होंने कहा कि कांग्रेसियों को खुद में परिवर्तन करने की बहुत सख्त जरूरत।
वरिष्ठ पत्रकार आदेश त्यागी बताते हैं कि जनता की मूलभूत समस्याएं जस की तस है। शिक्षा रोजगार स्वास्थ्य जैसे मुद्दे ऐसे हैं जिसमें उत्तराखंड बहुत बुरी तरह पिछड़ा हुआ है। युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। महंगाई बहुत बेतहाशा बढ़ गई है। अगर जनता ने वाकई परिवर्तन के बारे में मन बनाया तो वह कांग्रेस के सत्ता परिवर्तन यात्रा का इंतजार नहीं करेगी। हालांकि यह जरूर है कि जनता के गुस्से को भुनाया जा सकता है। लेकिन कांग्रेस अभी इस पोजिशन में नजर नहीं आ रही है। बल्कि कांग्रेस में गुटबाजी बहुत हावी है। इन 5 सालों में कांग्रेस ना तो नई लीडरशिप पैदा कर पाई और ना ही नहीं लोगों को अपने साथ जोड़ पाए। यही कारण है कि सत्ता परिवर्तन यात्रा बेअसर बेदम रही।