चंद्रशेखर जोशी।
उत्तराखण्ड सरकार ने प्रमोशन में आरक्षण के फैसले को सहमति दे दी है। इससे राज्य के जनरल और ओबीसी कर्मचारियों को बडी राहत मिली है। पिछले कई दिनों से जनरल ओबीसी कर्मचारी हडताल पर थे और आंदोलन कर रहे थे। लेकिन दलित समाज के लोग आरक्षण के मसले पर प्रदेश के कांग्रेसी नेताओं से ज्यादा नजर आ रहे हैं। कांग्रेस से जुडे दलित समाज के नेताओं ने भी अपनी पार्टी के नेताओं पर इस मसले पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया है। दलित नेताओं का कहना है कि आरक्षण जैसे अहम मसलों पर कांग्रेस नेताओं की खामोशी आरक्षण को खत्म करने की सहमति ही मानी जाएगी।
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कांग्रेस ने की प्रेस वार्ता लेकिन आरक्षण को खत्म करने के सवाल पर चुप्पी साधी
ब्यूरो।
भाजपा के तीन साल पूरे होने पर कांग्रेस ने बुधवार को पूरे प्रदेश में प्रेस वार्ता कर विरोध जताया। साथ ही तीन साल बेहाल उत्तराखण्ड का नारा दिया। इसी बीच हरिद्वार में प्रेस वार्ता में कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारिणी में शामिल वरिष्ठ नेता संजय पालीवाल से जब प्रमोशन में आरक्षण को खत्म करने के मसले पर कांग्रेस की राय जाननी चाही तो उन्होंने इस मसले पर बोलने से साफ इनकार कर दिया। यही नहीं उन्होंने कहा कि हमारी सरकार सत्ता में नहीं है और सत्ता में आने के बाद ही हम इस मामले में कुछ कहने की स्थिति में होंगे। उनका ये जवाब साफ करता है कि प्रदेश कांग्रेस के नेता अहम मसलों पर अपनी राय नहीं रख पाते हैं।
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दलित नेताओं ने जताया विरोध
प्रदेश कांग्रेस के नेताओं की सोच पर हैरत जताते हुए दलित नेताओं ने अपना विरोध जताया है। दलित नेता तीर्थ पाल रवि ने संजय पालीवाल जैसे कांग्रेस के नेताओं पर हैरानी जताई है ओर उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस को इस पर अपनी खुलकर राय रखनी चाहिए। जबकि, देश के बडे नेताओं ने प्रमोशन में आरक्षण को बरकरार रखने को कहा है। लेकिन संजय पालीवाल जैसे कांग्रेस के नेताओं के बयानों से पार्टी का नुकसान हो रहा है। दलित समाज इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। ऐसी सोच पार्टी का जनाधार घटा रही है।
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मेयर अनीता शर्मा ने भी कराई थी किरकिरी
मेयर अनीता शर्मा ने आरक्षण में प्रमोशन को खत्म कर रहे कर्मचारियों के आंदोलन का समर्थन किया था। इसके बाद दलित नेताओं ने मेयर अनीता शर्मा का विरोध किया था। हालांकि बाद में किरकिरी होता देख मेयर अनीता शर्मा ने अपना बयान वापस ले लिया था।