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संकट में बीएचईएल, स्कूल होंगे बंद, एडमिशन पर रोक लगाई, टीचर्स हडताल पर

चंद्रशेखर जोशी।
सावर्जनिक क्षेत्र की महारत्न कंपनी बीएचईएल पर संकट गहरा गया है। दूसरे पीएसयू की तरह इसकी भी हालत दिन पर दिन खराब होती जा रही है। यही कारण है कि बीएचईएल ईएमबी बोर्ड ​द्वारा संचालित स्कूलों को बंद किया जा रहा है। नौ में से छह स्कूलों को बंद कर दिया गया है जबकि तीन स्कूलों में भी एडमिशन पर रोक लगा दी गई है। ये आरोप लगाया है भेल प्रबंधन के अधीन काम करने वाले शिक्षकों और दूसरे कर्मचारियों ने। यही नहीं अपनी समस्याओं को लेकर बीएचईएल का एक दिव्यांग शिक्षक कर्मचारी हडताल पर बैठ गया है। वहीं दूसरे शिक्षकों ने भी हडताल का समर्थन करते हुए भेल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
बीएचईएल, ईएमबी के ’दिव्यांग कर्मचारी’ निर्मल कुमार पांडेय ईएमबी द्वारा संचालित विभिन्न विद्यालयों के कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार वर्ष 2016 से वेतनमान न दिए जाने के विरोध में भेल मेनगेट के निकट भूख हड़ताल पर बैठे। पहले दिन लगाया टेंट भेल प्रशासन द्वारा जब्त करने पर निर्मल कुमार पाण्डे अपनी पुत्री अमिता पाण्डे के साथ बस स्टेंड पर ही भूख हड़ताल पर बैठ गये हैं।
निर्मल कुमार पाण्डे ने कहा कि ईएमबी ने हमेशा से ही बीएचईएल कर्मचारियों व टीचर्स के साथ सौतेला व्यवहार किया है व टीचर्स का शोषण किया है। न समय पर प्रमोशन, न ही वेतन आयोग, यहाँ तक कि मेडिकल सुविधाओं को लेकर भी पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है। तीन साल से एडमिशन बंद कर दिए गए हैं। स्थिति यह हो गई है कि नौ स्कूलों में से आज मात्र तीन स्कूल रह गए हैं। इन्हें भी एक दो साल में बंद करने की धमकी दे रहे हैं।
अपनी सारी उम्र विद्यालयों के नाम करने वाले टीचर्स व कर्मचारी उम्र के इस पड़ाव पर अब कहाँ जाएंगे। जबकि रिटायरमेंट के पांच, आठ व दस साल रह गए हैं। ईएमबी के स्कूलों में कार्यरत कर्मचारियों को केंद्रीय विद्यालय के समकक्ष वेतन भत्ते एवं अनुमन्य सुविधाएं प्रदान नहीं की जा रही हैं। ईएमबी मैनेजमेंट समय≤ पर अपनी सुविधानुसार कर्मचारियों को दिए जाने वाले लाभों में कटौती करता रहा है। कई वर्षों से कर्मचारियों के प्रमोशन बंद कर दिए गए हैं। उनको दिए जाने वाला न्यूनतम बोनस भी नहीं दिया जा रहा है।
कर्मचारी नेता त्रिलोक चंद भट्ट ने कहा कि  ट्रांसपोर्ट एलाउंस के रूप में शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को दिए जाने वाले एरियर का भुगतान भी नहीं किया गया। सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट आने के बाद कर्मचारियों को उम्मीद थी कि पूर्व की भांति उन्हें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार भुगतान होगा। किंतु 2016 से अब तक उनको वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार वेतन भुगतान भी नहीं किया जा रहा है। जो कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गए हैं पिछले 1 साल से सेवानिवृत्त 1 दर्जन से अधिक कर्मचारियों को उनकी भविष्य निधि का पैसा भी नहीं मिला है। जिस कारण किसी के घर में मकान बनाने का काम रुका रहा तो किसी के बच्चों के शादी ब्याह रुके रहे और किसी को अपना इलाज कराने के लिए जरूरत के समय भी पैसा नहीं मिल पाया। कर्मचारियों की लगातार उपेक्षा और स्कूलों को एक के बाद एक बंद करने के कारण कर्मचारियों के सब्र का बांध टूटता जा रहा है।

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