विकास कुमार।
उत्तराखण्ड की सत्ता से त्रिवेंद्र राज गया तो तब के शहरी विकास मंत्री और शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक भी पैदल हो गए लेकिन दिल्ली की दौड धूप ने मदन कौशिक को भाजपा की प्रदेश अध्यक्षी दिला दी। सोशल मीडिया पर ये चर्चा बहुत तेजी से हो रही है। हालांकि, मदन कौशिक की संगठन में ताजपोशी को तब भी भाजपा के नेता पचा नहीं पा रहे थे, लेकिन दूसरे सीएम तीरथ सिंह रावत के जाने के बाद ये चर्चा और ज्यादा परवान चढ गई कि मदन कौशिक बस अब चंद दिनों के प्रदेश अध्यक्ष रह गए हैं। हालांकि सूत्र बताते है कि कुमाउं मंडल से पुष्कर सिंह धामी की तीसरे सीएम के तौर पर ताजपोशी के बाद भाजपा में मंथन शुरु हो गया कि आखिर मदन कौशिक का क्या किया जाए। मदन कौशिक को हटा दिया जाए या फिर पहाड से किसी नेता को संगठन की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी जाए और जल्द ही इस पर फैसला भी हो सकता है।
वरिष्ठ पत्रकार अवनीश प्रेमी बताते हैं कि भाजपा में इस बात का मंथन तो चल रहा है कि आखिर मदन कौशिक को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया जाए या फिर कोई पर्वतीय मूल का कार्यकारी अध्यक्ष साथ में जोड दिया जाए। हालांकि ये फैसला आसान नहीं है क्योंकि अगर मदन कौशिक को हटाया जाता है कि तो मैदान में खासतौर पर हरिद्वार में संदेश अच्छा नहीं जाएगा और अगर नहीं हटाते हैं कि गढवाल की नाराजगी को कैसे दूर किया जाएगा। हालांकि, कांग्रेस की तर्ज पर जहां हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष के साथ—साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए और क्षेत्र व जातीय समीकरणों का ध्यान रखा गया, उसे देखते हुए ये माना जा रहा है कि भाजपा में भी संगठन में क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बनाने का काम कर सकती है। ये भाजपा को तय करना है कि वो मदन कौशिक को हटाकर शक्ति का संतुलन बनाती है या फिर उनके साथ रहते हुए।
वरिष्ठ पत्रकार महावीर नेगी ने बताया कि ये लगभग तय हो गया कि संगठन में बदलाव होना है और संगठन में बदलाव होता है तो कमान गढवाल के नेता के हाथ में ही आएगी। हालांकि मदन कौशिक ही लीड करेंगे या फिर कोई कार्यकारी अध्यक्ष साथ में होगा, इस पर फैसला शायद अगले चंद दिनों में हो जाएगा। लेकिन ये भी बडा सवाल है कि मदन कौशिक को हटाया गया तो उन्हें कहां एडजस्ट किया जाएगा, सरकार में सीट खाली नहीं है और अब बदलाव की संभावना भी नहीं बची है तो आने वाले समय मदन कौशिक के लिए बडा कठिन कहा जा सकता है।
हरिद्वार के वरिष्ठ पत्रकार राजेश शर्मा बताते है कि मदन कौशिक एक बडे नेता है और संगठन की भी उन्हें समझ है लेकिन अगर हरिद्वर की ही बात करतें तो हरिद्वार के भाजपा विधायकों में से देशराज कर्णवाल को छोड दें तो अधिकतर इनके खिलाफ ही रहे हैं। हरिद्वार ग्रामीण से स्वामी यतीश्वरानंद जो अब कद्दावर मंत्री भी है उनसे मदन कौशिक का 36 का आंकडा है। देशराज कर्णवाल भी सत्ता के साथ ही जाना पसंद करेंगे। वहीं दो विधायक ऐसे हैं जो हालात के अनुसार फैसला लेते है। हालांकि हाईकमान क्या फैसला लेता है लेकिन अगर मदन कौशिक को हटा भी दिया तो कोई अचंभे वाली बात नहीं होगी।

क्या मदन कौशिक प्रदेश अध्यक्ष पद से बस हटने ही वाले हैं, क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार
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