चंद्रशेखर जोशी।
उत्तराखण्ड की नई तीरथ सिंह रावत सरकार में शुक्रवार को कैबिनेट मंत्री और राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार ने शपथ ली है। कैबिनेट मंत्रियों में सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, यशपाल आर्य के अलावा बिशन सिंह चुफाल, गणेश जोशी और अरविंद पांडेय ने शपथ ली है, जबकि राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार धन सिंह रावत, रेखा आर्य और स्वामी यतीश्वरानंद को बनाया गया है। दोनों प्रकार के मंत्रियों में क्या समानता है और दोनों एक दूसरे से कितना अलग होते हैं, आइये जानते हैं।
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मंत्री परिषद क्या होती है
चुनाव के बाद जब सरकार का गठन किया जाता है, तो सरकार चलाने के लिए कुछ लोगों की आवश्यकता होती है, जो सभी प्रकार के निर्णय लेते है, इन सभी व्यक्तियों के समूह को मंत्रिपरिषद कहा जाता है। इसमें कैबिनेट मंत्री और राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार होते हैं।
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कैबिनेट मंत्री कौन होते हैं
प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री का चुनाव होने के बाद सीएम अपने योग्य मंत्रियों को कैबिनेट मंत्री के रूप में चुनता है, कैबिनेट सरकार के सभी निर्णयों के लिए बैठक करती है, इस बैठक में लिए गए निर्णय ही सरकार को दिशा- निर्देश प्रदान करते हैं। कैबिनेट मंत्री को अन्य मंत्रियों की तुलना में अधिक शक्ति और सुविधा प्रदान की जाती है। कैबिनेट की प्रत्येक बैठक में सभी कैबिनेट मंत्री का पहुंचना अनिवार्य रहता है। मंत्री पद की शपथ के लिये व्यक्ति को दोनो सदनो में से किसी की सदन का सदस्य होना अनिवार्य है अथवा 6 महिने के अन्दर किसी भी सदन का सदस्य बनना पडता है ।
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कौन होते हैं राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार
इस पद पर व्यक्ति अपने विभाग का प्रमुख होता है, यह कैबिनेट मंत्री के अधीन नहीं होता है, यह अपने विभाग की रिपोर्ट सीधे सरकार के मुखिया को देता है। जब कैबिनेट की बैठक में स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री के विभाग से सम्बंधित चर्चा करनी होती है, उस समय स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री को बैठक में उपस्थित रहना अनिवार्य रहता है। लिहाजा, राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभारी कैबिनेट की मीटिंग में भाग ले सकते हैं।
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