Uttarakhand Land Pooling Policy हरिद्वार में नए शहर की जरुरतों को पूरा करने के लिए तीन नए शहर बनाने की योजना जल्द धरातल पर उतरने की उम्मीद है। पिछले दिनों उत्तराखण्ड सरकार ने लैंड पुलिंग नियमावली 2025 को मंजूरी दे दी है जिसके तहत अब नए शहरों के लिए जमीन मिलने में आ रही बाधा दूर हो जाएगी। इससे जहां एक ओर सरकार का पैसा भी बचेगा वहीं नए शहर के लिए जमीन देने वाले किसान या जमीन के मालिक को विकसित जमीन के साथ मुआवजा भी मिल पाएगा। हरिद्वार में तीन नए शहर बनाने के लिए 2500 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है।
कहां बनेंगे तीन नए शहर
हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण के पूर्व के प्लान के अनुसार तीन नए शहरों में सबसे बडी सिटी बहादराबाद के अतमलपुर बौंग्ला गांव के पास हाईवे किनारे विकसित किया जाना है। इसके लिए करीब पंद्रह सौ हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होना था जो अब Uttarakhand Land Pooling Policy 2025 के तहत जमीन मालिकों की आपसी रजामंदी के तहत होगा।
दूसरी बड़ी टाउनशिप जिला मुख्यालय के पास रोशनाबाद गांव में विकसित की जानी है। यहां भी करीब 800 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना था। लेकिन जमीन अधिग्रहण में आ रही बजट आदि की दिक्कतों के चलते ये टाउनशिप भी अधर में लटकी थी।
Uttarakhand Land Pooling Policy
तीसरा शहर रुड़की भगवानपुर मार्ग पर बनाने की तैयारी है। यहां जमीन की उपलब्धता आसान है जो अब लैंड पुलिंग नियमावली 2025 के तहत जल्दी से होने की उम्मीद है। तीन नए शहर बनने से एक ओर जहां लोगों को रहने के लिए अच्छा आवास मिल सकेगा वही दूसरी ओर नई स्कीम से किसानों, बिल्डरों, प्रोपर्टी कारोबारियों के साथ—साथ प्राधिकरण को भी फायदा होगा।

क्या है नई लैंड पुलिंग नियमावली 2025
नई स्कीम के तहत प्राधिकरण आपसी सहमति से जमीन लेगा और विकसित जमीन का एक निश्चित हिस्सा जमीन देने वाले को लौटाएगा। नियमों के अनुसार जिन लोगों के नाम जमीन है, उन्हें उनकी जमीन में से 24 प्रतिशत तक विकसित रिहायशी प्लॉट, सात प्रतिशत विकसित कॉमर्शियल प्लॉट मिलेगा। कॉमर्शियल प्लॉट न लेने पर 14 प्रतिशत अतिरिक्त रिहायशी प्लॉट मिलेंगे। साथ ही विकसित प्लॉट न देने की स्थिति में रिहायशी प्लॉट पर दोगुना, कॉमर्शियल प्लॉट पर तीन गुना सर्किल रेट के बराबर राशि मिलेगी।
–ऐसी जमीन, जिसे कानूनी तौर पर किसी अन्य के नाम नहीं किया जा सकता, उनके मालिकों को जमीन विकसित कराने की सूरत में 22 प्रतिशत रिहायशी और छह प्रतिशत कॉमर्शियल जमीन मिलेगी।
-इन सभी को गैर कृषि भूमि होने पर 12 रुपये प्रति वर्ग मीटर प्रतिमाह, कृषि भूमि होने पर छह रुपये प्रति वर्ग मीटर प्रतिमाह आजीविका भत्ता मिलेगा। यह अधिकतम तीन साल तक दिया जाएगा, जिसका भुगतान तीन वार्षिक किस्तों में होगा। इसका अग्रिम भुगतान 25-30 प्रतिशत किया जाएगा। Uttarakhand Land Pooling Policy
-छोटे भूमि मालिकों को 250 वर्गमीटर से कम भूमि होने पर सर्किल रेट के हिसाब सो नकद मुआवजा मिलेगा।
-योजना के तहत सूचना जारी होने से लेकर अंतिम प्रमाणपत्र तक 13 चरण तय किए गए हैं। 90 दिन में बेस मैप व ड्राफ्ट लेआउट तैयार होगा। 15 दिन में आपत्तियों की सुनवाई होगी। अंतिम लेआउट का प्रकाश 15 दिन में होगा। अधिग्रहित भूमि का हस्तांतरण 30 दिनों में होगा। सभी रिकॉर्ड अपडेट करने और पुनर्गठित प्लॉट जारी करने की जिम्मेदारी प्राधिकरण की होगी। Uttarakhand Land Pooling Policy


