कुणाल दरगन।
हरिद्वार रोशनाबाद में अस्थाई जेल से फरार हुए कैदी उसी ही दिन हरिद्वार पुलिस के हत्थे चढ जाते यदि एक थानेदार नादानी भरा कदम न उठाते। दरअसल कैदियों को पकड़ने का श्रेय थानेदार साहब अकेले ही लेना चाहते थे इसी वजह से ही दो कैदी अभी भी हरिद्वार पुलिस को मुह चिड़ा रहे है, खैर वह तो पिरान कलियर, मंगलौर ओर रानीपुर पुलिस ने लाज बचा ली, वरना कोतवाल महोदय की बदौलत हरिद्वार पुलिस की बुरी तरह किरकिरी होना तय थी। हरिद्वार पुलिस मे कोतवाल साहब के नोसिखियेपन के चर्चे खूब हो रहे है। जेल ब्रेक कांड में नई बात निकल कर सामने आ रही है, हालांकि इस जानकारी से हरिद्वार पुलिस को ही शर्मसार होना पड़ा है ।सामने आया है कि जब कैदियों के भागने की सूचना जनपद में फ़्लैश हुई तो हर थाना कोतवाली की पुलिस मुस्तैद हो गई ।
सबसे पहले रानीपुर पुलिस ने एक कैदी वाजिद को दबोचा तो सामने आया कि सभी गंग नहर पटरी से होते हुए रुड़की की तरफ निकले हैं ।रुड़की के एक कोतवाल साहब भी कैदियों को पकड़ने के लिए एक्टिव हो गए। लेकिन उनके दिमाग की वजह से सभी कैदी उसी दिन हत्थे नही चढ़े।
पुलिस सूत्रों की माने तो यदि कोतवाल ने गुड वर्क के चक्कर में सब गुड़ गोबर हुआ। कोतवाल साहब अकेले ही सभी कैदियों को पकड़ना चाहते थे लिहाजा उन्होंने कैदियों के रूट मैप की लोकेशन को बाकी थानों की पुलिस से साझा नहीं किया ।नतीजा यह हुआ कि उनके हत्थे तो एक ही कैदी चढ़ा लेकिन पिरान कलियर पुलिस ने सूझबूझ से उसी दिन ही दो कैदी उन्हें दबोच लिए ।
अगले दिन लंढौरा पुलिस की मुस्तैदी से दो कैदी हाथ आ गए लेकिन दो कैदी अभी भी हरिद्वार पुलिस के साथ आंख मिचौली का खेल खेल रहे हैं ।इस खेल का पूरा श्रेय उन्हीं कोतवाल साहब को जाता है जो गुड वर्क की वाह वाही अकेले ही लूटना चाहते थे।