चंद्रशेखर जोशी।
सेकुलर विचारधारा के पोषक रहे अंबरीष कुमार के बिल्कुल करीबी नेता धर्मपाल ठेकेदार, उनका बेटा अनुज सिंह और राजन मेहता सहित कई लोगों ने रविवार को देहरादून में भाजपा ज्वाइन कर ली। खासतौर पर ये तीनों ही नेता अंबरीष कुमार की परछाई की तरह उनके साथ रहते थे और अंबरीष कुमार के नाम का इनको खूब फायदा भी हुआ। लेकिन अंबरीष कुमार की मौत के बाद अंबरीष कुमार के खास माने जाने वाले ये तीनों ही नेता भाजपा में चले गए। इनके पीछे क्या कारण रहे और अंबरीष कुमार के समर्थक क्या कहते हैं, इस बारे में पढिए..
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अंबरीष कुमार के साथ ये धोखे जैसा है
अंबरीष कुमार के करीबी मुरली मनोहर ने कहा कि अंबरीष कुमार ने कभी भी विचारधारा के साथ समझौता नहीं किया। मुझे बडी हैरत हो रही है कि अंबरीष कुमार के साथ तीस से अधिक सालों तक साथ रहने वाले ये नेता कैसे उस विचारधारा में चले गए जिसके खिलाफ अंबरीष कुमार बिना नफा नुकसान के लडते रहे। ये अंबरीष कुमार के साथ धोखे जैसा है, इन लोगों ने अंबरीष कुमार से कुछ भी नहीं सीखा बल्कि अपने फायदे के लिए लोभ लालच के कारण ये भाजपा में चले गए। इस बारे में उन्हें खुद चिंतन करना चाहिए था।
वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता और अंबरीष कुमार के सबसे चहेते युवा नेताओं में शुमार वरुण बालियान ने कहा कि इन तीनों के जाने का दुख है लेकिन जब अंबरीष कुमार के जाने के बाद अंबरीष कुमार के विचारों और विचारधारा के साथ कांग्रेस को मजबूत करने और लडने का मौका आया था तो ये तीनों ही नेता मैदान छोडकर भाग गए। इसके पीछे सीधे तोर पर स्वार्थ की राजनीति है जिसके कारण इन तीनों नेताओं ने अंबरीष कुमार की विचारधारा को त्यागा और भाजपा में गए। ये सही है कि हर परिवार में विवाद होता है लेकिन उसका मतलब ये नहीं कि आप घर के विवाद के कारण घर ही छोड दे।
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इन तीनों नेताओं की कभी विचारधारा रही ही नहीं
वरिष्ठ पत्रकार रतनमणी डोभाल ने बताया कि अंबरीष कुमार के साथ रहकर सेकुलर विचारधारा के लंबे चौडे भाषण देने वाले धर्मपाल ठेकेदार, अनुज सिंह और राजन मेहता की या तो शुरु से ही संघ और भाजपा से जुडी विचारधारा रही होगी या फिर ये सिर्फ अंबरीष कुमार के साथ अपने निजी स्वार्थों के कारण जुडे होंगे। क्योंकि अंबरीष कुमार ने विचारधारा के मामले में लाइन खींचकर राजनीति की, जो होनी भी चाहिए। लेकिन उनके समर्थकों ने उनसे कुछ नहीं सीखा।
ये हैरानी वाली तो बात नहीं है कि क्योंकि जो होना होता है उसका आभास बहुत पहले हो जाता है। वरिष्ठ पत्रकार आदेश त्यागी ने बताया कि विचारधारा पर टिके रहने वाले अंबरीष कुमार विरले नेता थे यहां तक कि पूर्व सीएम कल्याण सिंह और डा. निशंक के प्रस्तावों पर भी अंबरीष कुमार अपनी विचारधारा से पीछे नहीं हटे। लेकिन, अपनी बात पर कायम रहने के लिए नुकसान उठाना पडता है जैसा अंबरीष कुमार ने उठाया भी। अब ऐसी स्थिति है जहां जिसको दो पैसे का फायदा होता दिखता है वहां दौड पडता है। ऐसे हजारों उदाहरण आपको वर्तमान राजनीति में दिख जाएंगे।