कुणाल दरगन।
महारत्न कंपनी बीएचईएल में एक बार फिर हड़ताल होने जा रही है। इंटक, सीटू, एचएमएस, एटक सहित कई श्रमिक यूनियनों ने एक साथ मिलकर बीएचईएल हरिद्वार इकाई प्रबंधन को 26 नवंबर को हड़ताल का नोटिस दे दिया है। हालांकि ये हड़ताल सभी पब्लिक सेक्टर कंपनियों में राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है। हड़ताल का मकसद सरकारी कंपनियों के विनिवेश को लेकर सरकार पर दबाव बनाना है। साथ ही श्रम कानूनों में बदलाव और श्रमिक हितों की हो रही अनदेखी को लेकर भी श्रमिक यूनियनों ने हल्ला बोला है।
इंटक नेता राजबीर सिंह ने बताया कि 26 नवंबर को सामूहिक हड़ताल रखी गई है। इसमें सभी प्रमुख यूनियनें भाग लेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार लगातार बीएचईएल सहित पब्लिक सेक्टर की दूसरी सरकारी कंपिनयों को घाटा दिखाकर बेचने का प्रयास कर रही है। इन कंपनियों में विनिवेश किया जा रहा है। इसका सीधा असर श्रमिकों पर पडेगा। उन्होंने कहा कि जो कंपनियों मुनाफा कमा कर देती आ रही है उनको अपने निजी फायदों के लिए सरकार बेचने का काम कर रही है। सरकारी सेक्टर को कमजोर कर निजी कंपनियों को फायदा देने का काम किया जा रहा है।
भेल श्रमिक नेता केएस गुंसाई ने बताया कि भेल श्रमिकों के हितों पर कुठाराघात किया जा रहा है। लगातार श्रमिकों को मिलने वाले भत्तों में कटौती की जा रही है। इससे श्रमिक खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को ये समझना होगा कि श्रमिकों के साथ अन्याय भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं होगा। इससे पहले बीएचईएल में पांच साल पहले हड़ताल हुई थी जब श्रम कानूनों में बदलाव के कारण श्रमिक यूनियनों ने हड़ताल बुलाई थी।

पांच साल बाद फिर बीएचईएल में होगी हड़ताल, श्रमिक यूनियनों ने थमाया नोटिस, ये है मामला
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