विकास कुमार/अतीक साबरी।
पंचायत चुनाव के नतीजों से जहां कांग्रेस के पांचों विधायकों की कार्यशैली पर सवाल खडे हुए हैं तो कई नेता ऐसे हैं जिनके राजनीतिक करियर पर पंचायत चुनाव के परिणाम का बुरा असर पडा है। ये नेता विधायक बनने के लिए बडे बडे दावे करते थे और अपने साथ तीस हजार से अधिक वोटों के होने का दावा करते हुए विधानसभा चुनाव में टिकट मांग रहे थे लेकिन पंचायत चुनाव में इनको तीसरे नंबर पर संतोष करना पडा। इसके बाद से इन नेताओं के तमाम आंकडों और दावों पर सवाल खडे हो गए हैं।
ऐसे ही एक नेता है सलेमपुर द्वितीय से चुनाव लडने वाले तेलूराम प्रधान हैं, इन्होंने यहां से अपनी पत्नी सविता को चुनाव लडवाया लेकिन बडी मुश्किल से ये तीसरे नंबर पर आए। यहां भाजपा विधायक आदेश चौहान के करीबी और उनके विकास कार्यों की ‘गुणवत्ता’ संभालने वाले चमन चौहान ने जीत दर्ज की। तेलूराम प्रधान की पत्नी सविता को यहां 1787 वोट मिले। जबकि चमन चौहान की पत्नी मीनाक्षी चौहान पांच हजार पार कर आराम से जीत गए। यहां दूसरे नंबर पर अनीता रही जिन्हें चार हजार से अधिक मत प्राप्त हुए।
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रानीपुर से चुनाव लडने के लिए गिनाए थे अपने तीस हजार वोट
तेलूराम प्रधान रानीपुर सीट से विधायक का चुनाव लडने के लिए दावेदारी कर रहे थे और इनका नाम पैनल में आखिरी दौर तक भी गया था। तेलूराम खुद को सीधे राहुल गांधी टीम का सदस्य बताते हैं और इनका दावा था कि रानीपुर में करीब तीस हजार से अधिक पाल समाज का वोट हैं जो उनके पीछे लामबंद हैं। इसके अलावा दलित और मुस्लिम वोट बैंक में भी उनके साथ है। लेकिन पाल, दलित और मुस्लिम वोट बैंक वाली सलेमपुर द्वितीय सीट पर वो तीसरे नंबर पर आए। अब कांग्रेस के ही कई नेता उनसे सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर विधायक का टिकट की दावेदारी करने वाला कांग्रेस नेता पंचायत चुनाव में तीसरे नंबर पर कैसे आया।

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टिकट ना मिलने पर घर बैठने का आरोप
वहीं विधानसभा चुनाव में टिकट ना मिलने पर तेलूराम पर रानीपुर विधानसभा से प्रत्याशी राजबीर चौहान की मदद ना करने का भी आरोप लगा था। तेलूराम टिकट ना मिलने से मायूस हो गए थे और चुनाव प्रचार में भी उन्हें ज्यादा नहीं देखा गया। जबकि टिकट मिलने से पहले तक उन्होंने विधानसभा के हर गली कोने में छोटे बडे नेता के साथ अपने बैनर लगवाए थे और अपने प्रचार पर लाखों रुपए खर्च कर दिए थे। लेकिन अब पंचायत चुनाव में परिणाम अच्छे नहीं आने के बाद उनकी अगली बार दावेदारी को कितना गंभीरता से लिया जाएगा ये तो वक्त ही बताएगा। ये भी सही है कि राजनीति में कब किसका तारा चमक जाए कौई नहीं जानता।