K.D.
हरिद्वार पुलिस ने मोरा तोरा ज्वैलर्स में डकैती डालने वाले उत्तर भारत के सबसे बडे डकैत गिरोह को गिरफ्तार किया है। पुलिस की मानें तो सतीश चौधरी गिरोह एक कंपनी के तौर पर काम करता था, जिसमें सबकी जिम्मेदारी बटी होती थी। किसको नए सदस्यों की भर्ती करनी है, कौन डकैती की जगह चिन्हित करेगा, कौन रैकी करेगा, कौन डकैतों को वर्कशॉप में ट्रेनिंग देगा, कौन लीड करेगा, कौन घटना को अंजाम देने के बाद आसानी से बच निकलने की रुपरेखा तैयार करेगा और कौन लूटे गए माल को ठिकाने लगाएगा।
अपनी इसी खूबी के बलबूते चौधरी डकैत कंपनी दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात जैसे राज्यों में डकैती की वारदातों को अंजाम देने में कामयाब होती थी और आसानी से पुलिस को गच्चा भी दे देती थी। लेकिन हरिद्वार में डाली गई डकैती चौधरी डकैत गैंग के लिए बुरी साबित हुई क्योंकि पुलिस इनको चार दिन में भी गिरफ्तार करने में कामयाब हो गई और इसी के साथ चौधरी डकैत कंपनी की सच्चाई सामने आ पाई। आइये आपको मिलवाते हैं चौधरी डकैत कंपनी के विभिन्न किरदारों से
सीईओ : इंद्रपाल चौधरी उर्फ ताउ फिलहाल बुलंदशहर जेल में बंद
एमडी : सतीश चौधरी, ताउ का सगा भांजा और डकैती के सारे प्लान का सुपरविजन करना और अंजाम देना, रैकी करना और मुख्य प्लान तैयार करना,
एचआर मैनेजर: अमित उर्फ फौजी निवासी थाना भवन शामली, नए लडकों को भर्ती करने की जिम्मेदारी
लॉजिस्टिक हैड: सचिन उर्फ गुड्डू निवासी सहारनपुर, हथियार पिस्टल और तमंचा, वाहन उपलबध कराने की जिम्मेदारी
वर्कशॉप हैड यान कार्यशाला प्रभारी: विकास उर्फ हिमांशु निवासी दिल्ली रोहणी, डकैती की रुपरेखा तैयार कर डकैतों को क्लास देता था जिसका प्लान सतीश चौधरी तैयार करता था अभी फरार है
मार्किटिंग हैड: जैकी उर्फ प्रदीप राठौर निवासी बुलंदशहर, लूटे गए माल को ठिकाने लगाने का काम और उसे बेचने का काम करता था, अभी फरार है

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ताउ का भांजा सतीश चौधरी जिसने गैंग को कंपनी की तरह आपरेट किया
एसएसपी सेंथिल अवूदई कृष्ण राज एस ने बताया कि इंद्रपाल चौधरी उर्फ ताउ गैंग का सरगना है जो जेल में बंद है। ताउ के पकडे जाने के बाद गैंग की कमान उसके भांजे सतीश चौधरी के पास आई, जिसने पूरे गैंग को एक पेशेवर तरीके से चलाना शुरु किया और कई बडी डकैतियों को अंजाम दिया। गैंग में सबकी जिम्मेदारी बटी हुई थी और सभी वारदात को अंजाम देने से पहले रैकी करते और उसके बाद वर्कशॉप कर रिर्हसल करते। यही नहीं वारदात के बाद सब आसानी से निकल जाते थे।
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हरिद्वार से भागने के लिए एंबुलेंस का किया प्रयोग
वारदात के बाद पुलिस बदमाशों का पीछा कर रही थी। लेकिन बदमाश वारदात के बाद रुडकी के जिला पंचायत गेस्ट हाउस में ही रुके थे। जनपद की सीमा को पार करना आसान नहीं था। इसलिए बदमाशों ने पहले ही निकलने के लिए एंबुलेंस को बुला रखा था। एंबुलेंस में एक बदमाश मरीज बना और सब सामान रखकर सीधे जनपद की सीमा पार गए। हालांकि पुलिस इस बीच गैंग के तीन सदस्यों को स्पाट कर चुकी थी, जो अलग माध्यम से निकले थे।
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बर्खास्त सिपाही बना गैंग का सदस्य
जिन बदमाशों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है उनमें यूपी पुलिस का बर्खास्त सिपाही भी शामिल है। संजय उर्फ राजू 1998 में पुलिस में भर्ती हुआ था। 2005 में एक मर्डर के केस में नाम सामने आया और 2007 में सजा होने के बाद बर्खास्त कर दिया गया। तीन महीने के पैरोल पर बाहर था, जेल में सतीश चौधरी के एचआर हैड अमित फौजी की नजर संजय पर गई जिसके बाद उसे भी गैंग में शामिल कर लिया गया।
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सिर्फ बडे सुनारों को बनाते थे निशाना, हरिद्वार के इस ज्वैलर्स की गई थी रैकी
पूरे आपरेशन की कमान संभालने वाले सीओ सिटी अभय सिंह ने बताया कि सतीश चौधरी गैंग देश में सिर्फ बडे सुनारों को निशाना बनाता था और इसके लिए पूरी तैयारी भी करता था। हरिद्वार में मोरा तारा के अलावा रिलायंस ज्वैलर्स की भी बदमाशों ने रैकी की थी। रैकी के लिए ये बहुत ही लो प्रोफाइल बनकर आते थै। इसके बाद पूरा रोडमैप तैयार कर वारदात को अंजाम देने का काम करत थे।
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कलकत्ता के जैवलर्स को लूटने का था प्लान
सीओ सिटी अभय सिंह ने बताया कि हरिद्वार के मोरा तारा ज्वैलर्स को लूटने से पहले सतीश चौधरी गैंग को पश्चिम बंगाल के कलकत्ता के बडे जैवलर्स को लूटने का प्लान बनाया था लेकिन लाकडाउन के कारण उन्होंने प्लान चेंज कर दिय और फिर से हरिद्वार में वारदात को अंजाम देने की रणनीति बनाई। यहां चूंकि लाकडाउन के बाद भीड बढना शुरु हो गई थी इसलिए बाजारों में वारदात को अंजाम देकर फरार होने में वो आसानी से निकल सकते थे।
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कौन—कौन हुआ गिरफ्तार
सतीश चौधरी पुत्र महेंद्र सिंह निवासी गांव सदरपुर, थाना सलमेपुर, अमित उर्फ फौजी पुत्र किरण पाल निवासी थाना भवन शामली उत्तर प्रदेश, संजय उर्फ राजू पुत्र तेजवीर निवासी ग्राम बसोदी थाना शिकारपुर जिला बुलंदशहर, नितिन मलिक पुत्र सुरेंद्र सिंह निवासी ग्राम कुरमाली थाना शामली उत्तर प्रदेश शामिल हैं। जबकि सचिन और गुड्डू पुत्र संजय निवासी गंगोह जिला सहारनपुर, हिमांशु त्यागी पुत्र मामचंद निवासी जिला बुलंदशहर, हंसराज सैनी और टिंकू पुत्र निर्मल सैनी निवासी बुढ़ाना जिला मुजफ्फरनगर को पुलिस ने पहले गिरफ्तार किया था। वहीं विकास उर्फ हिमांशु निवासी रोहिणी दिल्ली और जैकी उर्फ प्रदीप राठौर निवासी कोतवाली नगर बुलंदशहर फरार हैं।
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कितना माल हुआ बरामद
करीब सवाल किलो सोना, छह किलो चांदी, दस लाख रुपए नगदी, एक पिस्टल, तीन तमंचे