रतनमणी डोभाल।
कंगाली का रोना रोने वाले हरिद्वार नगर निगम की होनहार मेयर, अफसर और निर्वाचित व मनोनीत पार्षद निगम के खजाने को करीब एक करोड़ रुपए का चूना लगा चुके हैं। हालांकि, इन होनहार जनप्रतिनिधियों के लिए ये रकम उंट के मुंह जीरे के समान हैं फिर भी कोरोना काल में जीरा ही काफी है छोंका लगाने के लिए। बहरहाल इस बार होनहारों ने विज्ञापन होर्डिंग्स में खेल को अंजाम दिया। विज्ञापन घोटाले की ये स्क्रिपट मिलकर लिखी गई, जिससे निगम को अब तक एक करोड़ का चूना लग चुका हैं और ये अभी भी जारी है।
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क्या है मामला
असल में गाजियाबाद की कंपनी को नगर निगम हरिद्वार क्षेत्र में होर्डिंग्स के जरिए विज्ञापन करने का ठेका एक करोड़ 97 लाख रुपए में दो साल के लिए दिया गया था। इसमें 126 स्थानों पर पोल—होर्डिंग्स लगानी थी। सात मार्च 2020 को टेंडर खत्म हो गया। लेकिन, कंपनी ने बकाया 38 लाख रुपए का भुगतान निगम को नहीं किया। यही नहीं कंपनी ने निगम की होनहार मेयर, अफसरों और पार्षदों की दरियादिली और हाजमे को देखते हुए कहा कि उसने 126 नहीं सिर्फ 90 साइटों का ही प्रयोग किया है और बेस प्राइस घटाने के लिए निगम को बोला। अब निगम द्वारा एक करोड 97 लाख रुपए की जगह एक करोड़ 60 लाख रुपए तय करके मार्च के बाद हर महीने कंपनी को एक्सटेंशन दिया जा रहा है। लेकिन यहां भी खेल हो गया, कंपनी पूरे शहर में विज्ञापन लगाकर मोटा कमाती रही लेकिन निगम के खाते में कुछ जमा नहीं कराया। यानी करीब साठ लाख रुपए मार्च से अब तक का चूना निगम को ये लगा है। वहीं दूसरी ओर अब कंपनी ने एक ओर पासा खेला और एक करोड़ 60 लाख रुपए बेस प्राइस को ही पिछले दो सालों के लिए लागू करने की मांग को लेकर अपर वाणिज्य कोर्ट में राहत के लिए चला गया, यानी मामला अब वहां चल रहा है। कुल मिलाकर मेयर, अफसर और बोर्ड की लापरवाही के चलते निगम को कुल मिलाकर एक करोड़ का चूना लग चुका है जिसके बड़ने की संभावना और ज्यादा है।
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क्या कहती हैं मेयर
मेयर अनीता शर्मा ने अपने प्रतिनिधि मेयर पति अशोक शर्मा के माध्यम से बताया कि निगम के अफसर हमारे कहने सुनने में नहीं हैं। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के इशारे पर काम हो रहा है। हमारे पास तो फाइल आती है और हमें मजबूरी में साइन करने पड़ते हैं। नमामि गंगे से घाटों की सफाई के टेंडर पर हमने अपात्ति जताई थी, लेकिन वो फाइल शासन से पास होकर आ गई। ऐसे में हम क्या करें, नगर निगम को चूना लग रहा है ये सही बात है। लेकिन हमारे हाथ में कुछ नहीं है, ये भी ईमानदारी की बात है। मेरे पति तो अपने पैसे से नाले—नालियां साफ करा रहे हैं और खुद भी नाले में उतर जाते हैं।
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क्या कहते हैं पूर्व पालिकाध्यक्ष
पूर्व पालिकाध्यक्ष और कांग्रेसी नेता सतपाल ब्रह्मचारी ने बताया कि शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के इशारे पर सारा खेल हो रहा है। मेयर और पूरे बोर्ड को प्रस्ताव पास कर इस मामले में कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ये सही है कि मेयर को काम नहीं करने दिया जा रहा है। लेकिन, मेयर को हिम्मत कर निगम को हो रहे नुकसान से बचाना चाहिए, ये उनकी और पूरे बोर्ड की जिम्मेदारी है।
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क्या कहते हैं अधिकारी
सहायक नगर आयुक्त उत्तर सिंह नेगी ने बताया कि होर्डिंग्स विज्ञापन के लिए छह बार टेंडर आमंत्रित किए जा चुके हैं। लेकिन अभी तक कोई टेंडर नहीं आया। लेकिन दो—तीन प्रस्ताव आए हैं जिन्होंने कहा कि पिछले रेट से दस प्रतिशत बढाकर वो देने को तैयार है। लेकिन टेंडर समिति ने नया प्रस्ताव आमंत्रित करने का निर्णय लिया है ताकि निगम को सही दाम मिल सके।
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बात—बात पर हंगामा करने वाले पार्षद चुप क्यों
लेकिन सबसे बड़ा सवाल भाजपा और कांग्रेस के पार्षदों से भी है आखिर बात—बात पर बखेड़ा खड़ा करने वाले ये पार्षद चुप्पी क्यों साधे बैठे हैं। पक्ष वाले तो समझ आते हैं लेकिन विपक्ष वाले भी खामोश बैठै हैं।