muslim leaders file complaint against press club event of waseem rizvi

क्या बडी साजिश का हिस्सा है वसीम रिजवी का प्रेस क्लब में आयोजन, क्या चूक कर गया सिस्टम


विकास कुमार।
भारत की ताकत है​ भिन्नता में एकता और आपसी भाईचारा लेकिन समय—समय पर इसी ताकत को कमजोर करने के लिए कुछ समाज विरोधी ताकतें योजनाबद्ध तरीके से अर्मायादित कार्यों को अंजाम देती आ रही है। खासतौर पर चुनावी दौर में ऐसे प्रयास ज्यादा होते हैं, ऐसा ही एक कुप्रयास हरिद्वार प्रेस क्लब के मंच का सहारा लेकर किया गया जिसमें वसीम रिजवी की विवादित पुस्तक का विमोचन हरिद्वार के कुछ संतों की मौजूदगी में स्वामी यति नरसिंहानंद व अधीर कौशिक के द्वारा कराया गया और जिस तरह से कार्यक्रम में विवादित शब्दों का प्रयोग किया गया उससे कभी भी माहौल खराब हो सकता था। हालांकि, मुस्लिम समाज की ओर से संयमता का परिचय दिया गया और कोतवाली हरिद्वार और ज्वालापुर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराने के लिए तहरीर दी गई है।
लेकिन बडा सवाल ये कि वसीम रिजवी की विवादित पुस्तक का कार्यक्रम प्रेस क्लब जैसे सार्वजनिक मंच पर किसने होने दिया और क्या प्रशासन को इसकी भनक नहीं लगी और लगी तो इसे रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया गया। हरिद्वार वैसे ही संवेदनशील जनपद हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लगा इलाका है, जरा सी चिंगारी किसी बडे विवाद को पैदा कर देती।

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प्रेस क्लब हरिद्वर आया निशाने पर
प्रेस क्लब सार्वजनिक मंच हैं और विवादित कार्यक्रम को मंजूरी देने और एक धर्म विशेष के खिलाफ आत्तिजनक बयानों को लेकर प्रेस क्लब हरिद्वार निशाने पर आ गया है। सोशल मीडिया पर प्रेस क्लब बॉयकॉट का ट्रेंड चल रहा है। हालांकि, बाबरी मस्जिद विवाद में फैसला आने से पहले शहर का माहौल बनाए रखने के लिए प्रेस क्लब के पत्रकारों और जिम्मेदार लोगों ने शांति मार्च निकालकर अलग मिसाल पेश की थी लेकिन सवाल ये ही आखिर वसीम रिजवी के कार्यक्रम की अनुमति क्यों दी गई। प्रेस क्लब के अध्यक्ष दीपक नाथ गोस्वामी ने बताया कि अधीर कौशिक ने कार्यक्रम के लिए रसीद कटाई थी। कार्यक्रम के बारे में ज्यादा जानकारी नही दी थी। हालांकि महामंत्री राजकुमार इस बारे में ज्यादा बता सकते हैं। मेरी राय में जो भी हुआ वो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण था और ऐसे कार्यक्रमों को प्रेस क्लब जैसे सार्वजनिक मंच पर करने की अनुमति नही दी जानी चाहिए थी। प्रेस क्लब भविष्य में कार्यक्रम की अनुमति से पहले कार्यक्रम की संपूर्ण जानकारी दिए जाने का नियम बनाने पर विचार कर रहा है। हालांकि, सवाल ये भी है कि जब कार्यक्रम के बारे में प्रेस क्लब के पदाधिकारियों को पता लग गया था तो आपत्तिजनक बयानों का विरोध किया नहीं किया गया और तभी कार्यक्रम को रोका क्यों नहीं गया।

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क्या कर रहा था प्रशासन
एक ओर बडा सवाल ये है कि आखिर प्रशासन क्या कर रहा है और ऐसे विवादित कार्यक्रमों के होने से पहले की जानकारी क्या प्रशासन को नहीं थी और क्या पूरे कार्यक्रम की जानकारी प्रशासन भी नहीं दी गई थी और अगर जानकारी थी तो कार्यक्रम को क्यों नहीं रोका गया. क्या पूरे कार्यक्रम से प्रशासन को अंधेरे में रखकर किया गया था। और अब प्रशासन क्या कार्रवाई करने जा रहा है। वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि डोभाल बताते हैं कि देश की धार्मिक राजधानी हरिद्वार का माहौल आपसी भाईचारे वाला रहा है लेकिन पिछले कुछ समय से कुछ बाहरी तत्व हरिद्वार में आकर स्थापित होने की चाह में इस माहौल को खराब करने का प्रयास करने में लगे हैं।

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क्या कहते हैं मुस्लिम समाज के लोग
एडवोकेट फुरकान अली ने बताया कि प्रेस क्लब में आयोजित कार्यक्रम में जिस तरह के शब्दों का प्रयोग किया गया वो नाकाबिले बर्दाश्त है और इसे किसी भी कीमत पर सही नहीं ठहराया जा सकता है। हम सर्वधर्म समभाव पर यकीन रखते हैं और सभी धर्मों के महापुरुषों का सम्मान करते हैं। लेकिन जिस तरीके से प्रेस क्लब जैसे सार्वजनिक मंच का प्रयोग कर शहर का माहौल का खराब करने का प्रयास किया गया वो एक सोची समझी साजिश का हिस्सा है और पुलिस—प्रशासन को इसमें कार्रवाई करनी चाहिए। शाहनवाज सिद्दीकी ने बताया कि कार्यक्रम के आयोजनकर्ता और उपस्थित लोगों पर कडी कार्रवाई होनी चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार अहसान अंसारी ने बताया कि वसीम रिजवी के कार्यक्रम को दिल्ली प्रेस क्लब ने भी अनुमति नहीं दी लेकिन हरिद्वार प्रेस क्लब में ये कार्यक्रम हो गया। कौन इसके पीछे जिम्मेदार हैं और जिन्होंने भी आपत्तिजनक बयान दिए हैं उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही भविष्य में ऐसे कार्यक्रम ना हो प्रशासन को कडे कदम उठाने की जरुरत है।

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