विकास कुमार/अतीक साबरी।
खानपुर से भाजपा के बडे नेता प्रणव सिंह को चारों खाने चित कर विधायक बने पत्रकार उमेश कुमार सोशल मीडिया पर पूर्व सीएम हरीश रावत और हरिद्वार के सांसद डा. रमेश पोखरियाल निशंक पर खासे हमलावर हैं। सोशल मीडिया पर दोनों ही नेताओं को उमेश कुमार जमकर आडे हाथों ले रहे हैं। हालांकि उमेश कुमार अन्य जनहित के मुद्दों पर भी मुखर रहते हैं लेकिन हरीश रावत और डा. निशंक पर ज्यादा फोकस क्या किसी खास रणनीति का हिस्सा है या फिर उमेश कुमार 2024 में हरिद्वार लोकसभा सीट से अपनी संभावनाओं के मद्दनेजर ऐसा कर रहे हैं। MLA Umesh Kumar target Harish rawat and Dr. Ramesh pokhriyal nishank in haridwar
2024 में चुनाव लड सकते हैं उमेश कुमार
उमेश कुमार के विश्वसनीय करीबियों की मानें तो उमेश कुमार 2024 के लिए पूरी तरह तैयार हैं। या तो वो खुद या फिर उनके परिवार से कोई लोकसभा का चुनाव लड सकता है। इसी खास रणनीति के तहत वो खानपुर से निकलर हरिद्वार जनपद के दूसरे इलाकों में अपना जनाधार बना रहे हैं। सोशल मीडिया पर अपनी लोकप्रियता का वो बखूबी प्रयोग भी कर रहे हैं। यही कारण है कि मौजूदा सांसद डा. रमेश पोखरियाल निशंक पर वो खासे हमलावर रहते हैं। जहां तक पूर्व सीएम हरीश रावत की बात हैं तो उनकी अदावत पुरानी है ये जगजाहिर है। चूंकि हरीश रावत भी हरिद्वार में अपनी आखिरी पारी खेलने के लिए लोगों का मिजाज भांपने और अपनी जगह बनाने के लिए हरिद्वार का रूख करते रहते हैं ऐसे में हरीश रावत पर भी उमेश कुमार पहले से ही मानसिक दबाव बनाने की जुगत में लगे रहते हैं। उमेश कुमार अगर लोकसभा चुनाव लडते हैं तो यहां मुकाबला फिर त्रिकोणीय हो जाएगा।
क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार
वरिष्ठ पत्रकार रतनमणी डोभाल बताते हैं कि ये सही है कि डा. रमेश पोखरियाल निशंक बतौर सांसद हरिद्वार के लिए कुछ खास नहीं कर पाए। दो बार से सांसद रहने के बावजूद उनकी उपस्थिति यहां नाम मात्र की रही। हालांकि पंचायत चुनाव में वो सक्रिय भूमिका में हैं। हालांकि ये भी सही है कि उनके होने या ना होने से कोई फर्क नहीं पडता क्योंकि दोनों बार वो अपनी काबलियत नहीं बल्कि मोदी लहर में जीते हैं। जहंा तक कांग्रेस की बात करें तो उनके यहां पांच विधायक हैं लेकिन उनके पास चेहरा नहीं है। हरीश रावत एक विकल्प हैं लेकिन हरीश रावत से अब लोग कटने लगे हैं। जहां तक उमेश कुमार की बात है तो लोकसभा उनके लिए अभी जल्दबाजी होगी। उन्हें बतौर विधायक खुद को साबित करना होगा। अगर वो लोकसभा चुनाव तक इसमें कामयाब हो जाते हैं तो शायद उनके लिए लोकसभा चुनाव लडना अच्छा विकल्प हो सकता है।
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