कलियर उर्स:-सूफी संतो के लिए उठा साबरी लंगर,
अतीक साबरी:-
पिरान कलियर:- रबीउल अव्वल की सात तारीख को हर वर्ष साबरी लंगर की उठानी होती है,इस दौरान दोनों समय साबरी लंगर सूफी संतो को उनके ठीये पर ही वितरित किया जाता है!
मेहँदी डोरी के बाद साबरी लंगर की उठानी बड़ी रस्मो में शामिल है क्युकी दरगाह का सारा इतिहास लंगर के इर्द गिर्द ही घूमता है,साबिर पाक ने 12 वर्षो तक लंगर बनाकर बांटा और खुद इसका त्याग किया,इससे बड़ी इस त्याग से बढ़कर कोई त्याग नहीं है इसलिए दरगाह में लंगर का धार्मिक महत्तव है यहां आने वाला जायरीन साबरी लंगर को चखकर पुण्य पाता है,दरगाह में उर्स के दौरान लंगर की खुराक बढ़ा दी जाती है और बहार से आने वाले सूफी संतो मस्त मलंगो को उनके ठियो पर ही लंगर उर्स समाप्ति तक बांटा जाता है,इस रस्म को दरगाह मोअज्जम विशेष खादिम अब्दुल सलाम और दरगाह के शज्जादा नशीन के प्रतिनिधि शाह सुहेल मियाँ निभाते है!

कलियर उर्स:- साबरी लंगर की उठानी अब मस्त मलंगो को उनके मटो पर मिलेगा साबरी लंगर
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