कुणाल दरगन।
सूबे के पुलिस मुखिया की कुर्सी संभालने के बाद हरिद्वार पहुंचे डीजीपी अशोक कुमार की अधीनस्थों संग ली गई बैठक बुधवार को राज्य के पुलिस महकमे में सुर्खियों में रही। बैठक में पूरे रौ में दिखे डीजीपी के तेवर को लेकर खुसर—फुसर उत्तराखंड पुलिस में होती रही, यही नहीं उनकी बेबाकी से की गई बातों को लेकर भी मातहत अफसर सन्न रह गए। उनकी इस बैठक के कई मायने निकाले जा रहे है। वहीं उनके 31 साल के अपने करियर को लेकर कही गई बात के भी दिन भर पुलिस अफसर अपने—अपने तरीके से व्याख्या करते नजर आए। डीजीपी का चार्ज संभालने के दूसरे दिन हरिद्वार पहुंचे डीजीपी ने अधीनस्थों की बैठक में अपनी बेहतर पुलिसिंग का ब्लूप्रिंट सामने रखा।
डीजीपी ने विशेष तौर पर अपनी भविष्य की पुलिसिंग को लेकर गढ़ी अपनी प्राथमिकताओं पर भी खरा उतरने की सीधे सीधे नसीहत अधीनस्थों को दी। इस बात पर अधिक बल दिया कि किसी भी फरियादी की शिकायत को हल्के में न लिया जाए। उन्होंने यह भी साफ किया कि उनके समक्ष यदि कोई फरियादी पहुंचा है तो उसकी शिकायत को उन्होंने तसल्लीपूर्वक सुना है लिहाजा उनके कार्यकाल में भी इस तरह की पुलिसिंग होनी चाहिए।
यदि उनके पास कोई फरियादी पहुंचेगा तो यही माना जाएगा कि जिले में उनकी परिकल्पना के अनुसार पुलिसिंग नहीं हो रही है। अपने 31 साल के बेदाग कैरियर का उदाहरण भी अधीनस्थों के सामने रखा। इसी के साथ उनकी कार्यशैली एवं कार्यकाल पर निगाह रखने की बात भी इशारे ही इशारे में कही। इस बात पर भी बल दिया कि अपने अधीनस्थ का उत्पीडन करना भी भ्रष्ट्राचार के ही बराबर है, उनके इस वाक्य को लेकर अधीनस्थ एक दूसरे के चेहरे ताकते रहे।
डीजीपी ने दो टूक कहा कि पुलिस का चेहरा बदलने की जरूरत है लिहाजा इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है। डीजीपी की बैठक में हुई चर्चा पूरे राज्य के पुलिस अफसरान में सुर्खियां बंटोरती रही। हर कोई नए डीजीपी के तेवर से एक दूसरे को अवगत कराता रहा वहीं उनके द्वारा इशारे ही इशारे में दिए संकेत को भी बांचने में लगा रहा।