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हरीश रावत ने कह दिया 2016 के बागियों को ‘उत्तराखंड का अपराधी’ सियासत गरमाई


विकास कुमार।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने 2016 में कांग्रेस से भाजपा में गए विधायकों की घर वापसी की संभावनाओं पर एक बार फिर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग धन के लालच में गए कुछ लोग धन और दबाव में गए। हालांकि उन्हें धन और दबाव में जाने वालों से गिला नहीं है लेकिन जो अब वापस आना चाहते हैं क्या वह उत्तराखंड और लोकतंत्र के अपराधी नहीं हैं। उन्होंने यह भी पूछा कि कि ऐसे लोगों से क्या सलूक किया जाना चाहिए। उन्होंने इस संबंध में फेसबुक पोस्ट की, जिसके बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर हरीश रावत चाहते क्या है।

वरिष्ठ पत्रकार हरीश रावत के ताजा बयान को वर्चस्व की राजनीति से जोड़कर देख रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार अवनीश प्रेमी ने बताया कि हरीश रावत वर्चस्व की राजनीति में उलझे हुए है। वो चाहते हैं कि भाजपा से कांग्रेस में आने वाले सभी लोग जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए थे वह उनके जरिए ही पार्टी में शामिल हो। इसलिए कुल मिलाकर हरीश रावत के बयानों को पार्टी फोरम पर अपने वर्चस्व की लड़ाई के तौर पर देखा जा सकता है। इससे पहले हरीश रावत बागियों से माफी मंगवाने का बयान दे चुके है। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने उनके इस बयान के इतर कहा था कि कांग्रेस में सभी के लिए दरवाजे खुले हुए हैं और माफी जैसी कोई बात यह शर्त नहीं है।

वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि डोभाल ने बताया कि हरीश रावत कि सरकार को 2016 में गिराने का प्रयास किया गया और अब हरीश रावत चाहते हैं जब भाजपा में गए लोग वापस आए तो उनके जरिए ही उनकी एंट्री हो। इसलिए वह गाहे-बगाहे बयान बाजी कर दबाव बनाने की कोशिश करते हैं। हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं कि कांग्रेस से भाजपा में गए लोग विधायक और मंत्री तो बने लेकिन उन्हें कॉन्ग्रेस के दौर वाली आजादी नहीं मिल पाई। जिसके कारण इनकी टीस समय-समय पर बाहर आ जाती है। हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं कि आने वाला चुनाव भाजपा के लिए भी आसान नहीं है इसीलिए सब एक दूसरे को तोलने का काम कर रहे हैं।

क्या कहा हरीश रावत ने पढ़िए पूरा बयान

2016 में कितने लोग #सरकार गिराने में सम्मिलित थे! यदि उनका विश्लेषण करिए तो कुछ लोग #भाजपा में मुख्यमंत्री बनने की बड़ी संभावना लेकर के गये, क्योंकि #कांग्रेस में उनको #हरीश_रावत जमकर के बैठा हुआ दिखाई दे रहा था। उन्हें मालूम था कि यदि कांग्रेस जीतेगी फिर हरीश रावत ही मुख्यमंत्री बनेगा तो वो मुख्यमंत्री पद की भाजपा में संभावना देखकर, क्योंकि उन्हें लगता था कि वहां कोई काबिल व्यक्ति नहीं है और कुछ लोग धन के लोभ में गये, कुछ लोग धन और दबाव में गये, जो लोग दबाव और धन दोनों में गये उनसे मेरा कोई गिला नहीं है। मगर एक बात मैं अवश्य कहना चाहता हूंँ कि ये लोग जो बार-बार मुझको कोसते हैं, जरा अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में देख लें, जितने भी विकास के कार्य जिनके कारण वो अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में सर उठाकर के खड़े हो पाते हैं, वो सब वही हैं जो हरीश रावत के कार्यकाल में स्वीकृत हुये और बने। आज उनका #मतदाता उनसे कह रहा है कि #महाराज ये तो सब उस काल के हैं, जब आपने दल नहीं बदला था और दल बदलने के बाद हमने आपको विकास पुरुष समझकर नवाजा, मगर महाराज विकास कहां चला गया? आज दोनों प्रकार के लोगों में बेचैनी है, जिनको अपने क्षेत्र में विकास नहीं दिखाई दे रहा है, केवल सवाल उठते दिखाई दे रहे हैं और दूसरे वो लोग हैं जो मुख्यमंत्री पद की संभावना लेकर के आए थे, मगर भाजपा ने उनके लिए अंगूरों को खट्टा बना दिया। उन्होंने खांटी के भाजपाई को छांटकर के ही मुख्यमंत्री बनाया, तो आज फिर अपना पुराना #DNA तलाश करते हुए वो कांग्रेस में आने को उत्सुक हैं। मगर #लोकतंत्र व उत्तराखंड के अपराधी हैं, तो आप विचार करें कि ऐसे लोगों के साथ क्या सलूक होना चाहिये?
“जय उत्तराखंड – जय उत्तराखंडियत”

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