विकास कुमार/अतीक साबरी।
जिला पंचायत की राजनीति में इतिहास बनाते हुए भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित पांच ब्लॉकों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पदों पर बिना किसी विरोध के जीत दर्ज कर दी है। विधानसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन करने वाली भाजपा ने अपने हारे हुए विधायक स्वामी यतीश्वरानंद के सहारे कांग्रेस के पांच विधायक, बसपा के तीन और एक निर्दलीय विधायक को हवा नहीं आने दी। हालांकि, सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात चुनाव के बाद रही, जब कांग्रेस, बसपा और निर्दलीयों में आश्रम पहुंचाने यानी भाजपा में जाने की होड मच गई।
कई तो ऐसे विधायक और नेता रहे जिन्होंने अपनी गाडी में ढो ढो कर अपने गुट के जिला पंचायत सदस्य और क्षेत्रीय पंचायत सदस्य आश्रम की दहलीज तक छोडे और फोन पर ही आश्रम से होने वाली भविष्य की राजनीति में अपना स्थान सुरक्षित कर लिया। लेकिन इन सब में सबसे ज्यादा नुकसान अनुपमा रावत को होने जा रहा है।

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अनुपमा को सबसे ज्यादा नुकसान क्यों
अनुपमा को सबसे ज्यादा नुकसान इसलिए उठाना पडेगा क्योंकि अनुपमा के पास ज्यादा विकल्प नहीं है। कांग्रेस की एक विधायक ममता राकेश ने पहले ही अपनी पुत्री और पुत्र को भाजपा में भेजकर खुद को सुरक्षित कर लिया है। कलियर विधायक फुरकान अहमद को दुनिया जहान से ज्यादा मतलब रहता नहीं है, सडकें विधायक निधि से बनेगी ही बाकी विकास में क्या रखा है। झबरेडा वाले भाईसाहब के पास राजस्थान ब्रांडेड मंगलौर वाले काजी है, बचे ज्वालापुर वाले तो पहले ही डिप्लोमेटिक रणनीति अपना चुके हैं। अब सिर्फ अनुपमा रावत है जो ना तो भाजपा में कोई जुगत बिठा सकती है और ना ही उनकी अपनी जमीन पर कोई सेनापति उनके साथ खडा है। बाकी स्वामी यतीश्वरानंद पानीपत की तीसरी जंग का बदला लेने के लिए लाव लश्कर लेकर खडे हैं। अब अनुपमा रावत अपने किले में अलग थलग पड गई है, जिसका नुकसान उन्हें भविष्य में उठाना पडेगा। हालांकि अनुपमा के पास आखिरी विकल्प के तौर पर बाउजी यानी पापाजी यानी गाड गदेरो का बेटा यानी फेसबुक का क्रिस गेल मतलब अब तो समझ जाइये हरीश रावत हैं। जो कभी भी एक घंटे का मौन व्रत, एक दिन का उपवास या पैदल कूच कर सकते हैं या फिर सीधे देहरादून में किसी बडे मुद्दे पर डिप्लोमेटिक पारी खेलकर कुछ मदद करा सकते हैं। लेकिन, सबसे बडा सवाल फिर वहीं पंचायत चुनाव में सारे सातों मोर्चे हारने के बाद अब अनुपमा अपनी फौज कैसे बनाएंगी।

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क्या लोकसभा लडेंगे स्वामी
बहरहाल स्वमाी यतीश्वरानंद ने जीत का श्रेय मुख्य सेवक पुष्कर सिंह धामी को दिया है और देवतुल्य जनता को दिया है। साथ ही कहा कि पूरे हरिद्वार का चहुंमुंखी विकास किया जाएगा। उधर, उनके समर्थकों ने स्वामी यतीश्वरानंद को लोकसभा भेजने की मांग रख दी है। हालांकि पहले माना जा रहा था कि स्वामी जिला पंचातय अध्यक्ष के लिए प्रयासरत हैं और अब उनके समर्थक उन्हें हरिद्वार का अगला सांसद देखना चाहते हैं। लेकिन स्वामी जी के मन में क्या चल रहा है तो हम ये ही कह सकते हैं कि स्वामी ही जाने मन की बात।