चंद्रशेखर जोशी।
हरिद्वार में बेशकीमती जमीनों को लेकर पिछले कुछ सालों से उपजे विवाद और इन जमीनों को भू—माफियाओं के गठजोड से खुर्द बुर्द किए जाने से बचाने के लिए सरकार से इन जमीनों को अपने अधीन लेने की मांग की गई है। सरकार को पत्र लिखकर कहा गया है कि दान में सामाजिक और धार्मिक कार्यों के लिए मिली जमीनों की निगरानी के लिए एसआईटी बनाई जानी चाहिए। इसके बाद जमीनों का आंकलन कर सरकार को इन जमीनों को अपने अधीन में लेना चाहिए। क्योंकि लगातार हरिद्वार की जमीनों को खत्म किया जा रहा है। जबकि ये जमीनों पूर्व में अखाडों और विभिन्न संस्थाओं को राजा महाराजाओं ने दान में दी है या फिर इन जमीनों को सरकार ने दिया है। लेकिन अब इन जमीनों को खुर्द बुर्द किया जा रहा है।
गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से अखाडों और संस्थाओं की जमीनों को लेकर विवाद चला आ रहा है। इनकी देखरेख करने वाली समीतियां ही एक दूसरे पर जमीनों को बेचने का आरोप लगाती रही है। अखाडों के अलावा लावा अवधूत मंडल आश्रम में भी विवाद बना रहा। वहीं अब ज्वालापुर महाविद्यालय की जमीनों को लेकर विवाद हो रहा है। इसलिए सामाजिक कार्यकर्ता जेपी बडोनी ने कहा कि सरकार को इन जमीनों को अपने अधीन लेकर सामाजिक कार्यों के लिए प्रयोग करना चाहिए। साथ ही इनकी निगरानी के लिए भी एक कमेटी बनाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सबसे पहले सरकार को एसाईटी बनाकर हरिद्वार में मौजूद सभी जमीनों का आंकलन करना चाहिए। हालांकि उन्होंन ये भी कहा कि सरकार ऐसा करेगी उन्हें नहीं लगता है क्योंकि जमीनों की खुदबुर्द में सरकार के ही कई लोग शामिल रहे है। मौजूदा सरकार संतों से पंगा लेगी ऐसा कम ही नजर आता है।
गौरतलब है कि हरिद्वार में लगभग सभी अखाडों ने अपनी जमीनों को फ्लैट बनाकर बेचना शुरू कर दिया है। इन फ्लैट्स को एक एग्रीमेंट के जरिए बेचा जाता है जिसमें कागजों में इनको किराएदार दिखाया जाता है। जबकि एक दूसरे छिपे समझौते के लिए इन फ्लैटस को पार्टी को कई अधिकार दे दिए जाते हैं जिनमें रीसेल का अधिकार भी होता है। अखाडों की जमीनों को लेकर लगातार विवाद चला आ रहा है। ताजा मामले में कनखल के निर्मल अखाडे के बाहर बडा विवाद बना हुआ है।
हरिद्वार में अखाड़ों—संस्थाओं की विवादित जमीनों पर कब्जा करें सरकार, किसने की मांग जानिये
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