विकास कुमार।
2017 विधानसभा चुनाव में हरीश रावत के सामने हरिद्वार ग्रामीण सीट से बसपा के उम्मीदवार मुकर्रम अंसारी ने आखिरकार कांग्रेस ज्वाइन करने का निर्णय ले लिया। गुरुवार को वो अपने समर्थकों के साथ हरीश रावत की कियादत में कांग्रेस में शामिल होंगे। इसी बीच बसपा के दूसरे नेता इरशाद अंसारी ने मुकर्रम के कांग्रेस में जाने के निर्णय के बाद अपने शामिल होने के प्लान को टाल दिया है। इरशाद अंसारी 2012 में कांग्रेस के टिकट से चुनाव लडे थे लेकिन हार गए थे। ये माना जाता है कि उनकी हार में मुकर्रम अंसारी का योगदान था। इसके बाद दोनों पक्षों में कोल्ड वार भी चला। मुकर्रम के बसपा में हाशिये पर जाने के बाद इरशाद अंसारी कांग्रेस को अलविदा कहकर बसपा में आगे बढे और अब टिकट ना मिलने के कारण वापस कांग्रेस में आना चाहते हैं। लेकिन उससे पहले ही मुकर्रम अंसारी की ज्वाइनिंग का ऐलान हो गया।
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क्या बोले इरशाद अंसारी और मुकर्रम अंसारी
मुकर्रम अंसारी ने कहा कि वो बिना किसी शर्त के कांग्रेस में जा रहे हैं। उनका मकसद कांग्रेस को यहां से जीतना हैं। हालांकि जब उनसे पूछा गया कि कौन उम्मीदवार कांग्रेस के लिए बेहतर हो सकता हैं तो उन्होंने कहा कि अनुपमा रावत को जीताया जाएगा। अनुपमा के अलावा भी किसी ओर को टिकट मिलता है तो पूरे समर्पण से काम किया जाएगा।
वहीं इरशाद अंसारी ने कहा कि वो मुकर्रम अंसारी के साथ कांग्रेस में शामिल नहीं हो रहे हैं। हालांकि उनकी हाईकमान से बात हुई है। लेकिन सही समय आने पर वो सही फैसला लेंगे। फिलहाल स्थितियों को देखा जा रहा है।
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कांग्रेस को कितना फायदा होगा
वरिष्ठ पत्रकार रतनमणी डोभाल बताते हैं कि मुकर्रम अंसारी के आने से हरिद्वार ग्रामीण में फायदा जरुर मिलेगा। हालांकि, पहले ये संभावना थी कि कोई एक मुस्लिम नेता निर्दलीय या किसी अन्य दल से आ सकता है जिससे कांग्रेस को नुकसान होगा। लेकिन मुकर्रम के आने के बाद अब ये हालात पैदा नहीं होंगे। लेकिन हालांकि, ग्रामीण में स्वामी यतीश्वरानंद बेहद मजबूत हैं। फिर भी कांग्रेस को मुकर्रम, इरशाद या अन्य किसी नेता के आने का फायदा तो जरुर मिलेगा। ये अलग बात है कि कांग्रेस इसे किस तरह से भुना सकती है।
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