Dr. SN Khan Haridwar Blood Bank

चला गया फरिश्ता: डा. खान के योगदान को कभी भूल नहीं पाएगा हरिद्वार, क्या कहते हैं डॉक्टर, ब्लड वालंटियर्स

विकास कुमार।
एक समय था जब हरिद्वार ब्लड बैंक तो था लेकिन ब्लड ना होने के कारण जरुरतमंदों को यहां—वहां दौड धूप करनी पडती थी। लेकिन जब वरिष्ठ पैथोलोजिस्ट डा. एसएन खान ने ब्लड बैंक की कमान संभाली तो कम संसाधनों के बावजूद ब्लड बैंक हरिद्वार उत्तराखण्ड का सबसे सफलतम ब्लड बैंक बनकर उभरा। यही नहीं हरिद्वार ब्लड बैंक से रूडकी और दूसरे इलाकों को ब्लड की आपूर्ति की जाती रही और कई बार देहरादून को भी ब्लड मुहैया कराया गया। हरिद्वार ब्लड वॉलंटियर्स की एब बडी और मजबूत टीम बनाने और उनको प्रेरित करने में डा. खान का योगदान महत्वपूर्ण रहा। यही नहीं ब्लड बैंक के अलावा डा. खान ने जिला और मेला अस्पताल की लैब की ​जिम्मेदारी सालों तक संभाली और इस दौरान जो भी उनसे मिला वो कभी उनके सकारात्मक और करिश्माई शख्सियत को भूल नहीं पाया। डा. खान चौबीसों घंटे अपने काम के प्रति समर्पित और मदद के लिए उपलबध रहने वाले डॉक्टर थे जिनकी कार्यशैली से सरकारी सेवाओं के प्रति लोगों में विश्वास जागा। हालांकि डा. खान 2018 में यूपी चले गए थे और सहारनपुर के सरकारी अस्पताल में अपनी सेवाएं जहां उन्हें कोरोना ने जकड लिया। दिल्ली के एक अस्पताल में शनिवार देर रात उनका निधन हो गया। डा. खान की पत्नी बीएचईएल अस्पताल में कार्यरत हैं जबकि उनकी बेटी दून मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रही हैं जबकि बेटा ग्रेजुएशन कर रहा है।

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क्या कहते हैं डॉक्टर और स्टाफ
जिला अस्पताल के सीएमएस डा. राजेश गुप्ता ने बताया कि डा. खान के योगदान को हम कभी नहीं भूल सकते है। महज दो ब्लड यूनिट के साथ ब्लड बैंक की शुरुआत करने वाले डा. खान ने हरिद्वार ब्लड बैंक को सफल बनाया। बल्कि आज हरिद्वार ब्लड बैंक के पास तमाम संसाधन हैं जो डा. खान की लगन और प्रयास का नतीजा है। बहुत ही नेक इंसान और हर किसी की मदद करने वाले व्यक्ति थे। मैं उनकी मौत की खबर से बहुत ज्यादा सदमे में हूं। वहीं वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. संदीप निगम बताते हैं कि उन जैसा इंसान शायद इस जन्म में देखने को ना मिले। चौबीस घंटे में कभी भी फोन करो, तुरंत उठाना और समस्या का हल करना। ऐसे अनगिनत मौके आए जब वो रात को घर से उठकर सीधे ब्लड बैंक पहुंचे और समस्या का हल किया। यही नहीं कभी पोस्टर्माटम में दिक्कत पेश आती थी तो वो अगर बाहर भी होते थे तो घर जाने से पहले सीधे अस्पताल आकर सलाह देते थे। केवल स्टाफ से ही नहीं बल्कि आम लोगों से भी उनका ऐसा ही व्यवहार था। ब्लड बैंक के लैब टेक्नीशियन महावीर चौहान ने बताया कि डा. खान मेरे लिए पिता तुल्य थे। हमें उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। यूपी जाने के बाद भी हम कभी भी उनसे फोन कर परेशानी का हल पूछते थे। मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा है डा. खान हमारे बीच नहीं रहे।

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हरिद्वार ब्लड वालंटियर्स रक्त दान शिविर लगा देका श्रद्धांजलि
हरिद्वार ब्लड वालंटियर्स के संस्थापक वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अनिल अरोड़ा ने बताया कि हम सभी के लिए वो एक गार्जियन थे। हमने उनसे बहुत कुछ सीखा और हमारी टीम को मजबूत करने में उन्होंने हमेशा सहयोग किया। कभी भी वो चुनौतियों से पीछे नहीं हटते थे बल्कि उनका समाधान करने में यकीन रखते थे। उन जैसा इंसान और डॉक्टर शायद ही दोबारा ब्लड बैंक को मिले। हम सभी ने अगले रविवार को ब्लड कैंप आयोजित कर डा. खान को श्रद्धांजलि देने का निर्णय लिया है।

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