रतनमणी डोभाल।
रतनमणी डोभाल। दलितों पर होने वाले अत्याचार और छुआछूत के खिलाफ आंदोलन खडा करने के लिए दलितों और वंचितों के मसीहा डॉ. भीमराव अंबेडकर Dr. Bhimrao Ambedkar ने पत्रकारिता का भी सहारा लिया था। उन्होंने जनआंदेालन खडा करने के लिए पत्र—पत्रिकाओं का संपादन किया था। जिसका संपादन वो स्वयं करते थे। अपने विदेशी दौरों के दौरान भी वो संपादकीय लिखना नहीं भूलते थे। Dr. Ambedkar as Journalist Mooknayak

सबसे पहला निकाला मूकनायक Dr. Ambedkar as Journalist Mooknayak
1920 में संघर्ष की शुरूआत के साथ ही उन्होंने सबसे पहले मराठी मैगजीन निकाली, जिसका नाम था मूकनायक। ये मैंगजीन करीब डेढ साल तक चली। इसके बाद उन्होंने अप्रैल 1927 में बहिष्कृत भारत के नाम से मैंगजीन शुरू की। पत्रिकाओं का संपादन करने के लिए उन्होंने जनता की मदद से एक प्रिटिंग प्रेस की भी स्थापना की, जिसका नाम भारत भूषण प्रिटिंग प्रेस रखा। 1930 में एक नई पत्रिका ‘जनता’ की शुरूआत की गई। ये मैंगजीन 26सबसे पहला निकाला मूकनायक सालों तक चली। बाद में इसका नाम बदलकर प्रबुद्ध भारत रख दिया गया था Dr. Ambedkar as Journalist Mooknayak

दलितों और वंचितों की आवाज बने
अपनी पत्रिकाओं के जरिए उन्होंने छुआछूत और दलितों पर होने वाले अत्याचार को उठाया। वो प्रत्येक अंक की सामग्री को खुद ही संपादित करते थे। साथ ही उसका संपादकीय भी लिखते थे। इतना ही नहीं अपनी व्यस्त जिंदगी के बीच वो इन पत्रिकाओं को समय जरूर देते थे। डॉ. अंबेडकर के संघर्ष में उनके इन प्रयासों का काफी योगदान रहा था। ये वो दौर था जब जागरूकता लाने के लिए अखबार और पत्र पत्रिकाएं सशक्त माध्यम होता था।

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