विकास कुमार/तुषार कुमार।
हरिद्वार शहर में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के सामने चुनाव लड रहे कांग्रेस के प्रत्याशी सतपाल ब्रह्मचारी के पास कुंभ, कोरोना घोटाले के अलावा 28 करोड़ रुपए के सीएसआर फंड के निर्माण कार्यों में घोटाला भी बडा मुद्दा था, जिसमें करोड़ों रुपए रोडीबेलवाला मैदान पर घास बिछाने में वेस्ट कर दिए गए। लेकिन, सतपाल ब्रह्मचारी इस घोटाले पर चुप्पी साधे रहे। यही नहीं कोरोना और कुंभ घोटाले को भी सतपाल ब्रह्मचारी ने प्रमुखता से नहीं उठाया और पूरे चुनाव के नशे पर ही केंद्रित रखा। बडा सवाल ये है कि आखिर घोटालों पर विशेष तौर पर सीएसआर घास घोटाले पर सतपाल की खामोशी की वजह क्या थी। क्या मदन के खिलाफ भाजपा के दूसरे गुट के नेताओं का समर्थन इसका कारण था या फिर कोई दूसरा कारण रहा। इस बारे में हमने वरिष्ठ पत्रकारों से बात की, जिन्होंने अपनी बेबाक राय दी।
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घोटालों पर चुप्पी रणनीति का हिस्सा या दबाव की राजनीति
वरिष्ठ पत्रकार रतनमणी डोभाल बताते हैं कि हरिद्वार में मदन कौशिक के खिलाफ अनगिनत मुद्दे थे। लेकिन, सतपाल ब्रह्मचारी या कांग्रेस की ओर से इन मुद्दों को नहीं उठाया गया। कोरोना घोटाला हो या फिर कुंभ घोटाला या फिर 28 करोड की लागत से हरकी पैडी का विकास और रोडीबेलवाला की घास का मसला हो। इन सभी मुद्दों पर मदन कौशिक या भाजपा पर हमला नहीं हुआ। पूरा चुनाव सिर्फ और सिर्फ एमजेपी यानी मदन जनता पार्टी के खिलाफ रहा और इसके केंद्र में रहा नशा। सतपाल ब्रह्मचारी ने कई बार अपने बयान में कहा भी कि यहां चुनाव भाजपा से नहीं है बल्कि मदन जनता पार्टी से है।
इन घोटालों को ना उठाने का सवाल बडा है लेकिन ये प्रबल संभावना है कि भाजपा के मदन विरोधी नेताओं का पूरा समर्थन कांग्रेस के पास था। ऐसे में भाजपा सरकार में हुए घोटालों पर सीधा हमला ना करने के पीछे भाजपा के इस गुट को नाराज ना करने का कारण हो सकता है। क्योंकि घास घोटाले में तो सीधे सांसद रमेश पोखरियाल निशंक भी नाराज थे और जांच के लिए भी बोला गया था। लेकिन बाद में कुछ नहीं हुआ क्योंकि इसके पीछे स्थानीय स्तर के एक नेता का रोल सामने आया जिसके बाद सबने मुंह सिल लिया। हालांकि मदन कौशिक के विरोध को भुनाने में सतपाल कामयाब रहे या यूं कहें कि मदन कौशिक के विरोध का सीधा फायदा सतपाल ब्रह्मचारी को मिल गया।
वरिष्ठ पत्रकार करण खुराना बताते हैं कि मदन कौशिक की संपत्ति का मामला बडा उछलता रहा है। हरिद्वार में हुए घोटालों को लेकर मदन कौशिक पर सीधा हमला किया जा सकता था लेकिन ना कांग्रेस और ना ही कांग्रेस प्रत्याशी इसमें आगे दिखे। कुछ एक बयानों में ये सब जरुर नजर आता है लेकिन भाजपा से सीधा लोहा ना लेने के चक्कर में इन मसलों को नहीं उठाया गया, जो सच में हैरान करने वाला है। हालांकि ये भी कहा जा सकता है कि एमजेपी बनाम बीजेपी करने की ये एक रणनीति का हिस्सा रहा होगा, जिसमें सतपाल ब्रह्मचारी कामयाब भी हुए और हरिद्वार शहर में बडे स्तर पर भीतरघात हुआ। परिणाम क्या रहा इसका पता 10 मार्च को चल जाएगा। मेरा मानना है कि अगर इन मुद्दों को भी उठाया जाता तो शायद और ज्यादा लाभ मिल पाता। जहां तक नशे के मुद्दे का सवाल है कि इस चुनाव में उसका असर कम दिखी बल्कि मदन कौशिक का विरोध हावी रहा।
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