पीसी जोशी, Haridwar.
देश की महारत्न कंपनी बीएचईएल की हालत पतली है और पिछले कुछ सालों से काम ना होने के कारण बीएचईएल प्रबंधन लगातार खर्चों में कटौती करने के फैसले कर रहा है। इसी क्रम में अब बीएचईएल प्रबंधन अपने उन आफिस और इमारतों को निजी हाथों में देने जा रहा है जो काफी समय से खाली पडे हैं और जिनका बीएचईएल प्रयोग नहीं कर पा रहा है। इन सभी को व्यवसायिक गतिविधियों के लिए निजी कंपनियों और व्यक्तियों को अलॉट किया जा सकेगा। हालांकि ये निर्णय पहले ही लिया जा चुका था लेकिन बीएचईएल की देश भर में मौजूद इकाईयों को आदेश जारी करते हुए बीएचईएल कोरपोरेट कार्यालय ने सामने आ रही दुविधाओं को साफ करते हुए इन सभी आफिस स्पेस और इमारतों को बीएचईएल दुकान आवंटित नीति के तहत देने को कहा है। BHEL Haridwar Plant
भेल श्रमिक नेता राम कुमार ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि बीएचईएल के पास काम की कमी है और प्रबंधन लगातार खर्चे कम कर रहा है। इसी क्रम में खाली पडे स्पेस और इमारतों को भी बाहरी व्यक्तियों को अलॉट करने का फैसला किया गया है। उदारहरण के तौर पर बीएचईएल ईएमबी प्रशासन स्कूल चलाता था जिनमें से कई स्कूल अब बजट के अभाव में बंद हो चुके हैं।
इन स्कूलों की इमारतों को लीज पर दिया जा रहा है। जैसे हाल ही में सेक्टर वन विद्या मंदिर स्कूल को शिवडेल स्कूल को लीज पर दिया गया था। इसी तरह अब दूसरे खाली पडे स्पेस और इमारतों को भी लीज पर निजी हाथों में सौंपा जाएगा।
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सरकार की मंशा साफ नहीं
उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा साफ नहीं है। सरकारी सभी सरकारी उपक्रमों और कंपनियों का निजीकरण करने पर तुली हुई है। श्रम कानूनों को हल्का किया जा रहा है या फिर खत्म किया जा रहा है। ऐसे में बीएचईएल का कब नंबर आ जाए कोई कुछ नहीं जानता। बीएचईएल और श्रमिकों का भविष्य अंधकार में दिख रहा है। लेकिन श्रमिक यूनियनें लगातार निजीकरण के विरोध में आंदोलन कर रही है।
