विकास कुमार/अतीक साबरी।
अंकिता भंडारी हत्याकांड में समूचे उत्तराखण्ड का एक ही सवाल है कि क्या सत्ता और संघ में पैठ रखने वाले अंकिता के हत्यारोपियों को सजा मिल पाएगी, क्या अंकिता भंडारी को इंसाफ मिल पाएगा। ये सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पुलिस की कार्यशैली पर अंकिता के परिवार के अलावा स्थानीय लोग लगातार सवाल उठा रहे हैं, खासतौर पर वनंतरा रिजार्ट जहां अंकिता काम करती थी उस पर अचानक चले बुल्डोजर के बाद लोग सवाल उठा रहे हैं। लेकिन इस मामले में पुलिस के क्या दावे हैं और पुलिस के पास क्या पर्याप्त सबूत हैं अंकिता के आरोपियों को फांसी के फंदे तक पहुंचाने के लिए, आइये जानते है।
पुलिस का दावा है कि आरोपी पुलकित आर्य, अंकित गुप्ता और सौरभ भास्कर ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है और पूरा मामला अंकिता को जबरन वेश्यावृत्ति में धकेलना का है जिसके बाद अंकिता की हत्या की गई। लेकिन पुलिस को दिया इकबालिया बयान चूंकि, कोर्ट में मान्य नहीं होता है जब तक कि आरोपी खुद कोर्ट के सामने अपना गुनाह कबूल ना कर ले, ऐसे में सवाल उठता है कि पुलिस अंकिता की हत्या कैसे साबित करेगी।
पुलिस के पास मुख्य तौर पर तीन प्रकार के सबूत हैं, पहला और सबसे महत्वपूर्ण है अंकिता की अपने दोस्त के साथ की गई व्हटसएप चैट और कॉल रिकार्डिंग, जिसमें अंकिता दस हजार रुपए के लिए ग्राहकों को स्पेशल सर्विस देने के लिए दबाव डालने की बात कर रही है। यही नहीं 18 सितम्बर को अपने दोस्त की की गई कॉल भी एक महत्वपूर्ण साक्ष्य है। ये सभी इलेक्ट्रानिक इविडेंस के तौर पर प्रयोग किए जाएंगे जो खुद में एक मजबूत साक्ष्य है। हालांकि इनकी अभी फोरेसिंक जांच होना बाकी ह।
पुलिस के पास दूसरा महत्वपूर्ण साक्ष्य है अंकिता भंडारी की बॉडी का बरामद होना वो भी आरोपियों की निशानदेही के बाद। लक्ष्मणझूला पुलिस के पास जब ये केस आया तो पुलिस ने रिजार्ट मालिक भाजपा नेता विनोद आर्य के पुत्र पुलकित आर्य व उसे साथियों को उठाया। हालांकि पहले वो गुमराह करते रहे लेकिन सीसीटीवी फुटेज और रिजार्ट में काम करने वाले दूसरे कर्मचारियों के बयानों के बाद पुलकित आर्य व उसके साथी टूट गए। उन्होंने पुलिस केा अंकिता को चीला नहर में धक्का देकर हत्या करने की बात बताई। इसके बाद पुलिस ने तुरंत नहर का पानी कम कराया और अंकिता की बॉडी को बरामद कर लिया। अंकिता की बॉडी का बरामद होना खुद में एक महत्वपूर्ण साक्ष्य के तौर पर माना जाएगा।
पुलिस के पास तीसरा महत्वपूर्ण साक्ष्य है अंकिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट। पोस्टमार्टम रिपोर्ट पैनल के डॉक्टरों ने किया है जो मुख्य तौर पर इस नतीजे पर पहुंचे है कि अंकिता के शरीर पर एंटीमोर्टम यानी मौत से पहले के चोट के निशान है जो किसी ब्लंट ऑबजेक्ट यानी बिना धार वाले किसी हथियार से मारने के कारण आते हैं पाए गए हैं। वहीं अंकिता की मौत डूबकर मरने के कारण हुई है। सीधे तौर पर कहें तो अंकिता के साथ पहले मार पिटाई की गई और बाद में उसे चीला नहर में धक्का दे दिया गया। हालांकि चोट के निशान कहां है और किस तरीके के है डिटेल में आना बाकी है।
पुलिस के पास इसके अलावा रिजार्ट के सीसीटीवी फुटेज, वहां के कर्मचारियों के बयान और ऋषिकेश जाते हुए सीसीटीवी फुटेज भी पुलिस के पास है जो अपराध को साबित करने के लिए काम आएंगे।
लेकिन यहां एक सवाल ये भी है कि क्या रिजार्ट में आनन फानन में बुल्डोजर चलाकर क्राइम सीन से सबूत मिटाने का प्रयास किया गया। इसको लेकर लोगों में शक बना हुआ है। लेकिन पुलिस का दावा है कि क्राइम सीन रिजार्ट नहीं है और क्राइम सीन चीला नहर है। रिजार्ट में तोडफोड या आगजनी से केस पर कोई प्रभाव नहीं पडेगा। लेकिन यहां ये महत्वपूर्ण है कि अगर भाजपा नेता के बेटे के रिजार्ट में गैरकानूनी गतिविधियां चल रही थी तो क्या पुलिस ने वहां से सबूत जमा किए। रिजार्ट में कौन लोग आते थे और क्या वहां जिस्मफरोशी चल रही थी और वहां से पुलिस ने क्या क्या बरामद किया है, ये अभी साफ नहीं है। हो सकता है कि पुलिस रिजार्ट को अच्छे तरीके से खंगालती तो कुछ महत्वपूर्ण सबूत बरामद हो सकते थे। लेकिन यहां पुलिस चूक कर गई, जिसको लेकर लोगों में गुस्सा बना हुआ है। हालांकि फिर भी पुलिस दावा कर रही है कि उसके पास पर्याप्त सबूत है अंकिता के दोषियों को कडी सजा दिलाने के लिए। लेकिन ये पुलिस की चार्जशीट और केस की पैरवी बताएगी कि पुलिस ने इस हाईप्रोफाइल मामले को कितनी गंभीरता से लिया।
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