कलियर शरीफ में ‘अर्जी माफिया’ का आतंक: साबिर पाक की चौखट पर आस्था के नाम पर ‘रूहानी डकैती’–

अतीक साबरी:-

कलियर शरीफ। विश्व प्रसिद्ध दरगाह हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक, जहाँ दुनिया भर से लोग अपनी रूहानी प्यास बुझाने और झोलियाँ भरने आते हैं, आज कुछ ‘सफेदपोश लुटेरों’ की वजह से बदनाम हो रही है। दरगाह परिसर के भीतर इन दिनों दुआओं का नहीं, बल्कि ‘डर का व्यापार’ चल रहा है। कथित सूफियों की एक ऐसी फौज तैयार हो चुकी है, जो मासूम जायरीनों को रूहानी डर दिखाकर उनकी मेहनत की कमाई पर डाका डाल रही है।​

भय का व्यापार: पहले डराते हैं, फिर लूटते हैं!

​इन कथित सूफियों का ‘मोडस ऑपरेंडी’ (काम करने का तरीका) बेहद खतरनाक है। जैसे ही कोई भोला-भाला जायरीन दरगाह की सीढ़ियों पर कदम रखता है, ये लोग उसे अपनी बातों के जाल में फंसा लेते हैं।

​मनोवैज्ञानिक दबाव: “तुम्हारे ऊपर बहुत बड़ा साया है,” “तुम्हारी अर्जी सीधे नहीं पहुंचेगी,” या “बिना वसीले के काम नहीं होगा” जैसे जुमलों से जायरीन को डरा दिया जाता है।​

*अर्जी का गोरखधंधा* : जब जायरीन डर जाता है, तब उसे ‘विशेष अर्जी’ लिखने का झांसा दिया जाता है। कागज के एक मामूली टुकड़े पर चंद लाइनें लिखने के बदले 500 रुपये से लेकर 5,000 रुपये तक वसूले जा रहे हैं।​

*अकीदत की आड़ में ‘वसूली का सिंडिकेट* ‘​हैरानी की बात यह है कि जैसे-जैसे दरगाह में जायरीनों की भीड़ बढ़ती है, इन ठगों की तादाद भी उसी अनुपात में बढ़ जाती है। दरगाह के मुख्य परिसर, सहन और सीढ़ियों पर ये लोग इस तरह काबिज हैं जैसे इन्हें प्रशासन का मौन संरक्षण प्राप्त हो।

जायरीन अपनी फरियाद लेकर साबिर पाक की चौखट तक पहुँचने से पहले ही इन लुटेरों का शिकार बन जाता है। यह केवल ठगी नहीं, बल्कि मजहबी आस्था के साथ किया जा रहा सबसे बड़ा विश्वासघात है।​

*कहाँ है दरगाह प्रशासन? कहाँ हैं सुरक्षा एजेंसियां?* ​लाखों-करोड़ों का चंदा और सरकारी ग्रांट पाने वाली दरगाह की सुरक्षा व्यवस्था इन कथित सूफियों के आगे बौनी क्यों नजर आ रही है?​

*CCTV का क्या फायदा* ? जब चप्पे-चप्पे पर कैमरे लगे हैं, तो क्या प्रशासन को ये ‘ *वसूली भाई’* नजर नहीं आते?​

*सुरक्षाकर्मियों की मिलीभगत* ? आरोप तो यहाँ तक लग रहे हैं कि कुछ निचले स्तर के कर्मचारी इन फर्जी सूफियों को संरक्षण देते हैं और बदले में कमीशन लेते हैं।​

*जायरीन सहायता केंद्र का अभाव* : दरगाह में कोई ऐसी प्रभावी व्यवस्था नहीं है जहाँ जायरीन इन ठगों की शिकायत कर सके।​

*दरगाह की छवि पर गहरा आघात*

​पिरान कलियर शरीफ वह मुकद्दस मुकाम है जहाँ सुल्तान-उल-औलिया ने अपनी जिंदगी इबादत में गुजारी। आज उसी आस्ताने के अंदर चंद लालची लोग धर्म का चोला पहनकर लुटेरे बन गए हैं। अगर वक्त रहते इन फर्जी सूफियों पर नकेल नहीं कसी गई, तो जायरीनों का भरोसा दरगाह की व्यवस्था से पूरी तरह उठ जाएगा।​”

यह महज अर्जी लिखना नहीं, बल्कि जायरीनों की मजबूरी का सौदा करना है। प्रशासन को चाहिए कि ऐसे असामाजिक तत्वों को चिह्नित कर उन पर जिला बदर या गैंगस्टर जैसी सख्त कार्रवाई करे।” — स्थानीय जागरूक नागरिक​

*प्रशासन से तीखे सवाल:* ​क्या दरगाह परिसर में बिना अनुमति ‘दुकानदारी’ चलाने वालों पर कार्रवाई होगी?​अर्जी लिखने के नाम पर हो रही इस अवैध वसूली को रोकने के लिए ‘टास्क फोर्स’ क्यों नहीं बनाई जाती?

​क्या प्रशासन तब जागेगा जब कोई बड़ा विवाद या जायरीनों के साथ कोई अप्रिय घटना घट जाएगी?​नोट: यह खबर उन हजारों जायरीनों की आवाज है जो अपनी गाढ़ी कमाई लेकर साबिर पाक के दर पर आते हैं लेकिन इन ठगों के चंगुल में फंसकर खाली हाथ लौट जाते हैं।

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