ऋषिकुल जमीन मामला: छोटे साहब के बड़े कारनामे में निलंबित पटवारी की करतूत आई सामने, क्या होगा एक्शन

ऋषिकुल जमीन मामला

ऋषिकुल जमीन मामला : ऋषिकुल विद्यापीठ संस्था को दान में मिली करोड़ों की भूमि पर गिद्धदृष्टि लगाए बैठे भूमाफियाओं पर आखिर कब शिकंजा कसा जाएगा। यह सवाल इसलिए आ खड़ा हुआ है कि समय समय पर भू माफिया संस्था की बेशकीमती प्रॉपर्टी को लेकर सक्रिय हो जाते हैं। इस पूरे प्रकरण में एक निलंबित पटवारी का नाम भी सामने आ रहा है, जिस पर भ्रष्टाचार के आरोप है। विजीलेंस इस पटवारी के भ्रष्टाचार के आरोप की जांच में जुटी है, यह बात सामने आ रही है।

पटवारी की इस भूमि को लेकरबाजार में घूमता है और भू माफियाओं को सुनहरे सपने दिखा रहा है। जिसकी एवज में मोटी रकम उतार ली जाती है।इधर, प्रॉपर्टी डीलर पिता पुत्रों की बदौलत बिना परवाना मिले संपत्ति में एक पक्ष का नाम दर्ज करने के मुख्यसूत्रधार छोटे साहब के चेहरे की हवाईयां उड़ी हुई है। इस तरह का कृत्य कर छोटे साहब ने डीएम को भी आइना दिखाने की कोशिश की है।

आमजन के घिस जाते है जूते चप्पल, यहां चटपट हुआ कार्य
हरिद्वार, महज एक प्रमाण पत्र बनवाने में एक आमजन आदमी के जूते चप्पल तहसील की चौखट पर चक्कर लगाते लगाते घिस जाते है। अंत में उसे बनी बनाई व्यवस्था से होकर गुजरना पड़ता है। पर, संस्था की भूमि को लेकर हुए राजस्व परिषद के फैसले का परवाना आए बिना ही तहसील प्रशासन ने राजस्व अभिलेखों में पक्षकार की बजाय दूसरा नाम दर्ज कर लिया। एक अक्षर पर सवालों की झड़ी लगा देने वाले राजस्व कर्मचारियों की होशियारी आखिर कहां चली गई थी, यह सवाल आमजन की जुबां पर है। आमजन को चक्कर कटवाने वाले राजस्व कर्मचारियों ने चटपट नाम दर्ज कर लिया, यह सोचनीय प्रश्न है।

क्या है पूरा मामला
विकास कालोनी में स्थित बेशकीमती भूमि को 02 सितम्बर 1913 को अखाड़ा निर्वाणी ने ऋषिकुल ब्रहमचारी आश्रम को दान में दे दिया था। तब से अब तक ऋषिकुल विद्यापीठ संस्था का ही कब्जा उक्त भूमि पर चला आता है। उक्त संस्था का प्रशासन जिलाधिकारी और सचिव सिटी मजिस्ट्रेट पदेन होता है। वे ही पूरी संस्था का संचालन करते है। राजस्व परिषद देहरादून में श्याम सुन्दर सिंघानिया नाम के शख्स ने भूमि पर अपना अधिकारी बताते हुए वाद दायर किया था।

ऋषिकुल जमीन मामला
ऋषिकुल जमीन मामला

सुनवाई के दौरान राजस्व परिषद कोर्ट में भूमि संबंधी दाननामा न मिलने पर श्याम सुंदर सिंधानिया के नाम फैसला सुना दिया गया। डीजीसी राजस्व ने कोर्ट में पैरवी भी की थी। पर, आनन फानन में ही राजस्व परिषद के फैसले का परवाना आने से पूर्व ही तहसील प्रशासन ने चुस्ती फुर्ती दिखाते हुए संपत्ति में पक्षकार का नाम दर्ज कर किया। बड़ा सवाल यह है कि आखिर इतनी जल्दी क्यों दिखाई गई जबकि उस संस्था के प्रशासन खुद जिलाधिकारी है।

मिल गया दाननामा, रिव्यू होगा दाखिल
हरिद्वार, राजस्व परिषद कोर्ट में संस्था की तरफ से रिव्यू दाखिल किया जाएगा। संस्था को ऋषिकुल विद्यापीठ ब्रहमचर्याश्रम के नाम हुआ दाननामा ऋषिकुल आयुर्वेदिक कालेज से मिल गया। उर्दू भाषा में यह दाननामा लिखा है, जिसका हिंदी अनुवाद करा लिया गया है। जिलाधिकारी कर्मेद्र सिंह ने चिंता जाहिर की है कि भूमि पर शासकीय हित निहित है। प्रश्नगत भूमि को कतिपय व्यक्तियों द्वारा खुर्द-बुर्द करने का प्रयास किया जा रहा है इसलिए भूमि के क्रय-विक्रय पर रोक लगाई जाती है।

इतनी है जमीन
हरिद्वार, मौजा शेखुपुरा उर्फ कनखल परगना ज्यालापुर तहसील व जिला हरिद्वार के खसरा संख्या-27/1 रकबा 0.3480 है। खसरा संख्या-27/2 रकबा 0.4870 है।

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