करोड़ों की भूमि पर कब्जे का प्रयास, भाजपा नेताओं पर आरोप, भाजपा पार्षद बना ढाल

केडी।

हरिद्वार, एक पूर्व कैबिनेट मंत्री की अपनी निजी कैबिनेट उत्तरी हरिद्वार क्षेत्र में अध्यात्मिक संस्थाओं की भूमि पर कब्जा करने में पूरी शिददत से जुटी हुई है। गुरुवार को पूर्व शंकराचार्य माधवाश्रम के शिष्य देवी दयाल शुक्ल के बेशकीमती भूखंड पर हुए कब्जे की हकीकत से यह बात पूरी तरह से साफ हो गई है, हालांकि भूखंड स्वामी संत के भूखंड की ढाल भी भाजपाई ही बने हुए थे, जिनकी वजह से कब्जाधारियों की फौज के मंसूबे कामयाब नहीं हो सके।

बड़ा सवाल यह है कि जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय और एसएसपी अजय सिंह कब्जे का प्रयास करने के इन चेहरों के खिलाफ सख्त एक्शन ले सकेंगे, या फिर पूरे मामले पर चुप्पी साध ली जाएगी। अगर ऐसा हुआ तो फिर से किसी नए भूखंड पर कब्जे की पटकथा जल्द ही देखने को मिलेगी। उत्तरी हरिद्वार क्षेत्र में भगवा ओढ़े भू माफिया पूरी तरह से सक्रिय है। किसी भी संस्था में यह ट्रस्टी बनकर एंट्री लेते है, फिर दीमक की तरह उस संस्था को चट कर जाते है। एक पार्षद, एक पार्षद का बेटा, कांग्रेस से भाजपा में आया एक युवक से लेकर पूरी की पूरी फौज है।


यह सब चेहरे एक पूर्व काबीना मंत्री के गुट है, इन्हें पूरी सरपरस्ती मिली है, उसी की वजह से यह लोग किसी भी भूखंड पर कब्जा करने से पीछे नहीं हटते है। चंद माह पूर्व भी भाजपा पार्षद ने एक संस्था पर कब्जाकरना चाहा था। बकायदा मुकदमा भी दर्ज हुआ था, पर फिर दूसरे पक्ष की मान मनौव्वल कर उसे राजी कर लिया गया। खैर उस पर कब्जा नहीं हो सका था। यह हाल फिलहाल के प्रकरण है, जो उछले है।

इसके अलावा यह लोग हर विवादित भूमि में दखल रखते है और विवाद सुलटाकर वारे न्यारे करते है। मौजूदा प्रकरण में भी यह बेशकीमती भूखंड पर कब्जा ही चुके है, वह बात अलग है कि भाजपाई पार्षद अनिल मिश्रा रोड़ा बनकर सामने आ गया। वरना एक संत की भूमि पर कब्जा हेा चुका था। जब तक संत कभी यहां आता, वहां आलीशन भवन बनकर खड़ा हो गया होता। हैरानी की बात यह है कि यह कब्जाधारी देवी देवताओं की मूर्तियेां की आड़ में यह पूरा खेल खेलते है और फिर विरोध होने उसे सनातन संस्कृति पर प्रहार का रुप दे देते है।

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