taj mahal

इस अंग्रेज अफसर ने ताजमहल को गिराने की बना ली थी योजना, ये था कारण


चंद्रशेखर जोशी।
ताजमहल को लेकर इन दिनों खासा विवाद चल रहा है। कोई इसे गुलामी का प्रतीक बता रहा है तो कोई इसे ताज महल की जगह भगवान शिव का मंदिर तेजोमहल होने की बात कह रहा है। हालांकि, ताज महल को बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था जो उसके चौदहवें बच्चे को जन्म देने के दौरान सन 1631 में मर गई थी। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि ब्रिटिश सरकार के एक बडे अधिकारी ने ताज महल को गिराने का मन बना लिया था। बताया जाता है कि इसके लिए पूरी योजना भी तैयार कर ली गई थी। ये अफसर ओर कोई नहीं बल्कि 1828 में भारत का गर्वनर बनाकर भेजे गए Lord William Bentinck थे।

 

 

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इसलिए गिराना चाहते थे ताजमहल!
ताजमहल को लेकर जितनी भी किवदंतियां बताई जाती हैं उनमें से ये भी एक है। बताया जाता है कि कई महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं के लिए पैसे की कमी को देखते हुए लार्ड विल्यिम ने ताजमहल को गिराने की योजना तैयार की थी। ताकि इसके मारबल को बेच कर पैसा जुटाया जा सके। आपको बता दें कि ताजमहल पर उस समय करोडों रुपए खर्च आया था। करीब बीस साल में बनकर तैयार हुई इस लाजवाब इमारत पर उस वक्त करीब तीन करोड बीस लाख रुपए का खर्च आया था। जो आज के जमाने में अनुमान लगाया जाए तो करीब छह हजार करोड रुपए बैठेगा। तारीख बताती है कि ताजमहल पर इतना पैसा खर्च करने से शाही खजाना खाली हो गया था। ये कहा जाता है कि इसके कारण शाहजहां के बेटे औरंगजेब ने उनको कैद कर लिया था। अगर ये मकबरा तब गिरा दिया जाता तो आज इसके दीदार ना हो पाते। हालांकि ताजमहल को गिराए जाने की योजना का कोई पुख्ता सबूत आज तक नहीं मिला है। लेकिन लार्ड विल्यिम के बायोग्राफर लिखते हैं कि ये बात दो प्रमुख घटनाओं के कारण चर्चा में आई। जिनमें लार्ड विल्यिम ने आगरा जो जोडने वाले यमुना पुल को बनाने के लिए आगरा किले के मार्बल और उस वक्त की बडी तोप जिसे आगरा की गन भी कहा जाता था उसे बेच दिया था। इसके कारण लॉर्ड विल्यिम को लेकर इस तरह की अफवाहें जोर मारने लगी थी कि वो ताजमहल को भी गिराना चाह रहे हैं।

 

 

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कौन थे लार्ड विल्यिम
इन्होंने 1828 से लेकर 1835 तक भारत के गर्वनर रहे लार्ड विल्यिम ने आधुनिक भारत की नींव रखने वाले और समाज सुधार​क राजा राम मोहन राय के साथ मिलकर कई ऐतिहासिक फैसले किए। सती प्रथा रोकने के लिए कानून बनाने से लेकर बाल विवाह, बहु विवाह आदि पर भी काम किया। यही नहीं उन्होंने पहली बार फारसी की जगह उच्च न्यायालयों में अंग्रेजी को स्थान दिया। इसके अलावा भारत में पश्चिमी शिक्षा प​द्धति को बढावा दिया।

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