अतीक साबरी:-
पिरान कलियर (हरिद्वार): उत्तर भारत की विश्व प्रसिद्ध दरगाह साबिर पाक इन दिनों आस्था के नाम पर हो रही अवैध वसूली के कारण सुर्खियों में है। पवित्र दरगाह परिसर अब जायरीनों की सेवा के बजाय ठगी का केंद्र बनता जा रहा है। यहाँ सक्रिय ‘फर्जी सूफियों’ और रसूखदार लोगों का संगठित गिरोह मासूम श्रद्धालुओं की जेब पर डाका डाल रहा है।

गुरुवार और शुक्रवार: ठगी का ‘पीक सीजन’दरगाह में वैसे तो हर दिन भीड़ रहती है, लेकिन गुरुवार और शुक्रवार को जायरीनों की संख्या में भारी इजाफा होता है। ठगों का यह गिरोह इसी भीड़ का फायदा उठाता है।

भीड़ का फायदा: अधिक भीड़ होने के कारण सुरक्षा व्यवस्था व्यस्त रहती है, जिसका लाभ उठाकर ये फर्जी सूफी सक्रिय हो जाते हैं।
निशाना: बाहर से आने वाले भोले-भाले श्रद्धालु, जिन्हें दरगाह की परंपराओं की जानकारी नहीं होती, उन्हें घेरकर डराया जाता है।
वसूली का ग्राफ: स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इन दो दिनों में ‘अर्जी’ और ‘विशेष दुआ’ के नाम पर वसूली जाने वाली रकम कई गुना बढ़ जाती है।
कैसे बुना जाता है ठगी का जाल?जैसे ही कोई जायरीन मुख्य द्वार से ‘सिदारी क्षेत्र’ में कदम रखता है, ये स्वयंभू सूफी उसे घेर लेते हैं। गुमराह करने का तरीका बेहद शातिर है:
झूठा डर: श्रद्धालुओं को विश्वास दिलाया जाता है कि बिना ‘लिखित अर्जी’ के साबिर पाक के दरबार में दुआ कुबूल नहीं होगी।
अवैध अर्जी: दरगाह के नियमों में ‘अर्जी लिखवाने’ की कोई अनिवार्यता नहीं है, फिर भी इसे अनिवार्य बताकर भारी-भरकम रकम वसूली जाती है।
लूट का अड्डा: रसूखदार लोगों के संरक्षण में यह धंधा इतना संगठित हो चुका है कि आम आदमी इनके खिलाफ आवाज उठाने से भी डरता है।
प्रशासन की चुप्पी और जनता का आक्रोश स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि प्रशासन सब कुछ जानते हुए भी मौन है। पूर्व में हुई झड़पों और शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।”प्रशासन की ढुलमुल कार्यप्रणाली ही इन ठगों के हौसले बुलंद कर रही है। अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो इस पवित्र स्थल की छवि पूरी तरह धूमिल हो जाएगी।”
— स्थानीय नागरिक जनता की प्रमुख मांगें:बढ़ते आक्रोश के बीच स्थानीय लोगों ने प्रशासन से आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया है। उनकी मांगें स्पष्ट हैं:
सख्त कानूनी एक्शन: वसूली करने वालों पर सीआरपीसी की गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हो।
सादे कपड़ों में पुलिस: गिरोह को पकड़ने के लिए परिसर में सादे कपड़ों में पुलिस बल तैनात किया जाए।
जागरूकता बोर्ड: दरगाह प्रबंधन स्पष्ट बोर्ड लगाए कि ‘अर्जी लिखना अनिवार्य नहीं है’ और यहाँ किसी भी प्रकार का शुल्क देना मना है।


