हरिद्वार गैस कांड: लोगों की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहे होटल, अस्पताल और रेस्टोरेंट, कब टूटेगी नींद

कुणाल दरगन।
हरिद्वार के मंगलौर में बालाजी स्वीट्स शॉप में हुए गैस​ सिलेंडर धमाके ने पुलिस और प्रशासन के सेफ्टी आडिट की पोल खोल कर रख दी है। साथ ही ये सवाल भी उठ खड़ा हुआ है कि आखिर हरिद्वार जनपद की कितनी व्यापारिक संस्थान जैसे अस्पताल, होटल, रेस्टोरेंट और दूसरी इकाईयां लोगों की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रही हैं। कितने ऐसे हैं जिन्होंने दमकल विभाग से एनओसी ली है या फिर भवन निर्माण नियमावली के अनुसार अस्पताल, होटल, रेस्टोरेंट की इमारतों का निर्माण किया है। एक अनुमान के अनुसार करीब 90 प्रतिशत होटल, अस्पताल अन्य व्यवसायिक इमारतों को नियमों की अनदेखी करके बनाया गया है। यही नहीं अधिकतर ने संबंधित विभागों से कोई एनओसी नहीं ली है और जो लेते भी वो भी बस सेटिंग गेटिंग से कागजी जमाखर्च कर खानापूर्ति करते हैं।
मंगलौर में हुए हादसे में उत्तराखण्ड पुलिस के सिपाही की भी मौत हो गई, हालांकि पुलिस ने दुकान मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया, लेकिन सवाल ये है कि आखिर पुलिस की नींद हादसे से पहले क्यों नहीं टूटती है। या फिर जिला प्रशासन और हरिद्वार रूडकी विकास प्राधिकरण के अफसर कब तक लापरवाही के खर्राटे भरते रहेंगे। इसी तरह हरिद्वार में हाल ही में एक कंपनी में आग लगी, जांच में ये बात सामने आई कि कंपनी के पास कोई एनओसी नहीं थी। शिवालिक नगर में जिस रेस्टोरेंट में आग लगी, उसका भी यही हाल था।

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क्या पुलिस—प्रशासन हादसों के बाद जागेगा
हरिद्वार के होटल, अस्पताल और अन्य व्यापारिक संस्थान बारूद के ढेर पर हैं और इनकी खामियां लोगों की जान पर भारी पड़ सकती है। बावजूद इसके पुलिस और प्रशासन की नींद टूटने का नाम नहीं ले रही है। ना तो पुलिस सेफ्टी आडिट को सक्रिय दिखाई दे रही है और ना ही हरिद्वार रूडकी विकास प्राधिकरण के कानों पर जूं रेंग रही है। वहीं जिला प्रशासन भी खामोशी की चादर ओढे हुए खर्राटे भर रहा है। जबकि इनकी लापरवाही कभी भी लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।

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क्यों सोया है एचआरडीए
शहरी क्षेत्रों में इमारतों के निर्माण को नियमों के अनुसार किए जाने की जिम्मेदारी एचआरडीए यानी हरिद्वार रूडकी विकास प्राधिकरण की है। लेकिन नियमों को ताक पर रख व्यवसायिक इमारतों का निर्माण किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो प्राधिकरण को नियमों की अनदेखी की जानकारी होती है लेकिन कार्रवाई क्यों नहीं की जाती, इसके पीछे के खेल को हर कोई समझता है।

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क्या कहते हैं अफसर
​हरिद्वार एसएसपी सेंथिल अवूदई कृष्ण राज एस ने बताया कि सेफ्टी आडिट के लिए पुलिस अपने स्तर से काम कर रही है। लेकिन ये एक सामूहिक जिम्मेदारी का काम है और दूसरे विभाग भी इसमें शामिल हैं। जिला प्रशासन से बात कर इस मामले में एक संयुक्त टीम बनाई जा रही है। वहीं जिलाधिकारी सी रविशंकर से इस बाबत पूछना चाहा तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया। बहरहाल भले ही त्यौहारी सीजन निकल गया हो, लेकिन हादसा समय पूछ कर नहीं आते हैं,बल्कि विभागों की लापरवाही ही इनको न्यौता देती है।

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