चंद्रशेखर जोशी।
नशे के खिलाफ बडी कार्रवाई करते हुए मंगलौर पुलिस ने लंढौरा के साद मेडिकल स्टोर से 45 लाख रुपए की प्रतिबंधित दवाईयां और इंजेक्शन बरामद किए हैं। इनको नशा करने वाले लोगों को महंगे दामों पर बेचा जाता था। पुलिस के मुताबिक इस मेडिकल स्टोर से हरिद्वार के दूसरे इलाकों में भी ये दवाईयां सप्लाई की जाती थी और इनको अवैध तरीके से मेरठ और मुज्जफरनगर के इलाकों से मंगाया जाता था।
सीओ मंगलौर अभय सिंह ने बताया कि पिछले कुछ समय से इंजेक्शन और दवाईयां से नशा करने वाले युवओं के कुछ परिवारों ने पुलिस को अपनी पीडा बताई थी। इसके बाद पुलिस ने अपना मुखिबर तंत्र लगाया और कई दिनों तक रैकी की गई। जांच में लंढौरा स्थित साद मेडिकल स्टोर का नाम समने आया और पुलिस ने एक डमी ग्राहक बनाकर भेजा और जानकारी पुख्ता होने के बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरु की। इसके लिए ड्रग इंस्पेक्टर अनीता भारती को बुलाया गया और अपनी मौजूदगी में तलाश कराई तो करीब 45 लाख रुपए के प्रतिबंधित दवाईयां और इंजेक्शन मिले।
उन्होंने बताया कि इतनी बडी संख्या में इजेक्शन और दवाईयां मिलना इसलिए भी चौंकाने वाला है आस—पास कोई बडा अस्पताल नहीं है। कुल मिलाकर इन दवाईयां को महंगे दामों पर नशा करने वाले युवाओं को बेचा जाता था। क्योंकि इसकी एक बार लत लगने बाद नशा करने वाला इसके पाने के लिए कुछ भी कर सकता है। एसपी देहात परमिंदर डोभाल ने बताया कि मेडिकल संचालक नौशाद पुत्र नूरहसन निवासी बाहरी किला कस्बा लंढौरा मंगलौर को गिरफ्तार किया गया है।
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पिछले छह माह में करोड़ों का नशा बरामद, चालीस गिरफ्तार
देहात क्षेत्र में पिछले कुछ महीनों में नशे के खिलाफ बडी कार्रवाई हुई है। सबसे ज्यादा स्मैक मंगलौर, भगवानपुर और लंढौरा क्षेत्र में पकडी गई है। सीओ मंगलौर अभय सिंह ने बताया कि पिछले छह महीने में करीब चालीस लोगों को नशा तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है जबकि करोडों रुपए की स्मैक और नशीली दवाईयां व इंजेक्शन बरामद किए गए हैं।
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ड्रग विभाग पर उठे सवाल
वहीं जनपद में नशा बडे पैमाने पर बेचा जा रहा है और जनपद का ड्रग विभाग कार्रवाई नहीं कर रहा है। मेडिकल स्टोरों पर खुलेआम प्रतिबंधित दवाईयां बेची जा रही है। पुलिस की जांच में ये खुलासा हो गया है। लेकिन ड्रग विभाग महज छापामाकर हडंकप मचाने वाली खबरें प्रकाशित कराकर अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है। व्यापारी नेता सुनील अरोडा ने बताया कि ड्रग विभाग को सब पता रहता है कि कौन से मेडिकल स्टोर पर क्या हो रहा है लेकिन कार्रवाई नहीं की जाती है। सरकार को ड्रग विभाग के अफसरों की जांच की जानी चाहिए।