पूर्व सीएम Harish Rawat ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि पॉवर मे रहते समय जिन जनाधारहीन नेताओं को उन्होंने आगे बढाया और हर लाभ पहुंचाया वो एन वक्त में उनका साथ छोड़ जाएंगे। लेकिन हरीश रावत को ये सब देखना पड़ रहा है, क्योंकि उन्होंने हरिद्वार में कभी मजबूत नेताओं को आगे बढने नहीं दिया और जिन्हें बढ़ाया वो अब टाटा बॉय बॉय कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो हरीश रावत के कई दूसरे करीबी नेता जल्द भाजपा ज्वाइन कर सकते हैं।
हरीश रावत अकेले पड़ गए हैं
वरिष्ठ पत्रकार रतनमणी डोभाल बताते हैं कि Harish Rawat हरिद्वार लोकसभा चुनाव से अपने बेटे विरेंद्र रावत को चुनाव लड़वा रहे हैं। उन्हें उम्मीद थी कि उनके बेटे के लिए कम से कम वो नेता साथ देंगे जिन्होंने हरीश रावत के मंत्री और मुख्यमंत्री रहते हुए लाभ कमाया और हरीश रावत ने जिन्हें खुद आगे बढ़ाया। लेकिन हरीश रावत को अब वो भुगतना पड़ रहा है जिसकी हरिद्वार के वरिष्ठ कांग्रेसी भविष्यवाणी किया करते थे।
असल में हरीश रावत ने हरिद्वार में स्थानीय लीडरशिप को पूरी तरह खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हरीश रावत पर ये आरोप लगता रहा कि उन्होंंने कभी मजबूत कांग्रेसी नेताओं को आगे नहीं बढने दिया। जिनके सर पर हरीश रावत का हाथ रहा वो अब हरीश रावत को अलविदा कह चुके हैं, जो बचे हैं वो भी ऐसे ही हैं सिर्फ जबानी जमाखर्च करना जानते हैं।
Harish Rawat
किस—किस ने ज्वाइन की भाजपा
भाजपा में शामिल होने वालों में हरीश रावत के करीबी पुरुषोत्तम शर्मा, राजेश रस्तोगी, सत्यनारायण शर्मा, संजय महंत, तोष जैन, राजेंद्र चौधरी, दीपक जखमोला आदि शामिल हैं। इनमें हरीश रावत के सीएम रहते हुए अर्धकुंभ मेले मेंं पुरुषोत्तम शर्मा हरीश रावत के ओएसडी रहे और उनकी पूरी तूती बोली। जबकि राजनीति में अनाडी माने जाने वाले संजय महंत उर्फ स्वामी ऋषिश्वरानंद को हरिद्वार नगर निगम का चुनाव लडवाया लेकिन वो भी अब साथ जोड गए।
