Haridwar Loksabha
Haridwar Loksabha आमतौर पर प्रत्याशी जिस क्षेत्र से चुनाव लड़ता है, उसकी क्षेत्र के विकास और लोगों की समस्याओं को उठाता है। लेकिन हरिद्वार लोकसभ सीट से कांग्रेस प्रत्याशी विरेंद्र सिंह रावत गजब प्रचार कर रहे हैं। विरेंद्र रावत ने सेाशल मीडिया पर अपने वायदे का जिक्र करते हुए पोस्ट किया कि ”हरिद्वार कुंभ क्षेत्र के विस्तारीकरण के लिए गंगा नदी श्यामपुर, कांगडी, ऋषिकेश व देवप्रयाग में पुल का निर्माण”। जबकि देवप्रयाग गढ़वाल लोकसभा सीट का हिस्सा हैं।
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि हरीश रावत को वोट हरिद्वार से चाहिए लेकिन विकास कार्य वो देवप्रयाग में कराएंगे। सवाल ये भी है कि कुंभ क्षेत्र का विस्तारीकरण रुडकी और नारसन तक करने की हरीश रावत और विरेंद्र क्यों आवाज नहीं उठा रहे हैं। क्या कुंभ क्षेत्र में ज्वालापुर, बहादराबाद, रुडकी, लक्सर और नारसन तक का एरिया नहीं आना चाहिए। जबकि स्थानीय लोग इसकी डिमांड कर रहे हैं।
विरेंद्र रावत के चुनावी मुद्दे समझ से परे Haridwar Loksabha
वरिष्ठ पत्रकार अवनीश प्रेमी बताते हैं कि विरेंद्र रावत के अब तक जो चुनावी मुद्दे रहे हैं वो समझ से परे हैं। खासतौर पर कुंभ क्षेत्र के विस्तारीकरण पर तो वो भयंकर गलती कर गए हैं। हरिद्वार के लोगों की ये पुरानी डिमांड है कि कुंभ क्षेत्र का विस्तार हरिद्वार शहर से बढाकर ज्वालापुर, बहादराबाद, रुडकी और लक्सर तक कर दिया जाए। क्योंकि कुंभ में सबसे ज्यादा परेशानी ये इलाका भी झेलता है। जाम और अन्य समस्याओं के कारण लोगों को दिक्कतें आती है।
यहां सुविधाएं मजबूत होगी तो सरकार को भी मेला प्रबंधन में मदद मिलेगी।
लेकिन विरेंद्र रावत हरिद्वार की बात ना करके सीधे देवप्रयाग में पुल बनाने की बात कर रहे हैं। जबकि देवप्रयाग गढवाल लोकसभा सीट का हिस्सा है। ये हाल तब है जबकि कांग्रेस का भारी जनाधार हरिद्वार जनपद की ग्रामीण विधानभाएं हैं। लेकिन यहां के मुद्दों पर उन्होंने कोई बात नहीं की, जो उनकी राजनीतिक समझबूझ का आंकलन करने के लिए काफी है।
हरिद्वार के अन्य इलाकों की आवाज उठानी चाहिए
वरिष्ठ पत्रकार रतनमणी डोभाल बताते हैं कि हरिद्वार कुंभ के दौरान स्थानीय क्षेत्र और आस—पास के इलाकों पर भारी दबाव पडता है। कुंभ का विस्तार आपने देवप्रयाग तक कर दिया लेकिन हरिद्वार शहर से आगे नहीं बढाया। कुंभ क्षेत्र का विस्तार होता तो यहां मूलभूत सुविधाएं बढाने में भी मदद मिलती।
लेकिन हरीश रावत और विरेंद्र रावत इसकी बात नहीं कर रहे हैं। ये समझ से परे हैं और देवप्रयाग, ऋषिकेश में पुल कहां बनाओगे ये भी बताना चाहिए। क्योंकि पुल तो वहां पहले से बने हुए हैं और जब हरीश रावत की सरकार थी तब इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया। ये भी हरीश रावत को बताना चाहिए।
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