Madan Kaushik

प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक: प्रमोशन या डिमोशन या फिर मास्टर स्ट्रोक, क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार


चंद्रशेखर जोशी।
हरिद्वार नगर सीट से चार बार के विधायक और दो बार के सीनियर मंत्री रहे मदन कौशिक को मंत्री पद से हटाकर उत्तराखण्ड भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। हालांकि, पार्टी की हालत ठीक नहीं है और कुछ माह बाद ही चुनाव होने हैं, ऐसे में मदन कौशिक के लिए प्रदेश अध्यक्ष का ताज कांटों भरा साबित हो सकता है। वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया से लेकर हर राजनीतिक चर्चा में ये बहस आम है कि क्या मदन कौशिक को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर प्रमोशन किया गया है या फिर ये डिमोशन है और क्या अब मदन कौशिक की उलटी गिनती शुरु हो गई है या​ फिर मदन कौशिक ने मंत्री पद त्याग कर प्रदेश अध्यक्ष का मा​स्टर स्ट्रोक खेला है।

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क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार
उत्तराखण्ड के वरिष्ठ पत्रकार अवनीश प्रेमी ने बताया कि निश्चित तौर पर ये मदन कौशिक का प्रमोशन है और मदन कौशिक इसके लिए काफी पहले से तैयारी भी कर रहे थे और बिल्कुल सही समय पर उन्हें अच्छा मौका मिला है। मदन कौशिक खुद ही सत्ता सुख त्याग संगठन के लिए काम करने की बात करके हाईकमान की नजर में आ गए हैं और भाजपा ने भी मदन कौशिक को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर ये साफ संकेत दिया है कि मैदान की राजनीति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। एक बात ओर अब मदन कौशिक को किसी अन्य मोह—माया की भूख नहीं है बल्कि अब वो अपना वर्चस्व बढाना चाहते हैं और इसीलिए वो काफी समय से संगठन में जाना चाहते थे और भाजपा में संगठन के मुखिया को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और इसके जरिए वो सीधे दिल्ली तक भी पहुंच बना पाने में कामयाब हो जाएंगे। वहीं संगठनात्मक तौर पर भी उन्होंने खुद को साबित किया ही है।
वरिष्ठ पत्रकार राव शफात अली बताते है कि कई लोग मदन कौशिक को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर डिमोशन की टैग लाइन चला रहे हैं लेकिन ये पूरी तरह सही नहीं है। मदन कौशिक ने भविष्य का गेम प्लान सेट किया है और ये 2022 में भाजपा की सफलता पर निर्भर करेगा कि मदन कौशिक का टॉप पोस्ट के लिए ये प्लान सही साबित होगा या नहीं।
वरिष्ठ पत्रकार महावीर नेगी ने बताया कि इसे मदन कौशिक का डिमोशन कहना बेमानी होगी। मदन कौशिक प्रदेश अध्यक्ष के जरिए अपनी साख बचाने में भी कामयाब हो गए हैं। ये भी संभावना था कि नई सरकार में मदन कौशिक अगर मंत्री बनते तो शायद उनका वो रुतबा या जलवा नहीं रहता तो त्रिवेंद्र सरकार में था। इसलिए उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष का दांव खेल दिया और भाजपा में चूंकि संगठन को बहुत तवज्जो दी जाती है ऐसे में उनका कद सीएम के समकक्ष ही माना जाएगा। बाकी अगर वो अपने नेतृत्व में 2022 का चुनाव जीताने में कामयाब हुए तो वो सीएम का भी चेहरा हो सकते हैं अगर नहीं तो केंद्र में उन्हें प्रमोशन ​मिलना तय हो जाएगा।

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