हरिद्वार की उपनगरी ज्वालापुर इन दिनों डायरिया के प्रकोप से दो चार हो रही है। उल्टी दस्त के के मरीजों से अस्पताल भरे पड़े हैं। वहीं जल संस्थान और स्वास्थ्य विभाग गहरी नींद में सोया है। जबकि चुनाव में जनता को देवतुल्य बताकर उनकी चरण वंदना करने वाले तमाम नेता, जनप्रतिनिधि और करीब छह दर्जन भावी मेयर, विधायक, पार्षद और दर्जनों चिंटू टाइप वरिष्ठ नेता लापता है।
वहीं महावरिष्ठ समाजसेवी, महाचौधरी समाज के महा जिम्मेदार और महा ठेकेदार भी गहरी निद्रा में हैं। बेचारी जनता अगले चुनाव से पहले डायरिया से दो चार हो रही है। हालांकि डायरिया दूषित जल पीने से होता है। लेकिन बेचारी जनता इसे आसमानी आफत, ओपरी हवा, कर्मों का फल और जब किस्मत में लिखे थे ….आदि आदि का कारण मान अपना हौंसला बनाए रखने का प्रयास कर रही है।
ज्वालापुर में सबसे ज्यादा आफत
उपनगरी ज्वालापुर के दर्जनों इलाकों में डायरिया फैला हुआ है। डायरिया भी ऐसा वेसा नहीं बल्कि मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने को मजबूर होना पड़ रहा है। स्थानीय निवासी जुम्मन मियां ने बताया कि उल्टी दस्त का सूरत—ए—हाल ये है कि रुकने से पहले से आई जा रही है। कुछ सोचने समझने का मौका नहीं मिल रहा है। हालांकि ज्वालापुर की हर गली कूंचे और नाके पर सदरे मोहरतम से लेकर दर्जनों भावी मेयर, विधायक, पार्षद गुटरगु करते दिख जाते हैं। लेकिन, जनता की सुध कोई नहीं ले रहा है। तमाम समाजसेवी, किसान नेता, युवा हृदय सम्राट, समाजसेवी, युवा तुर्क, गली—नाका प्रमुख लापता से दिख रहे हैं।
वहीं ज्वालापुर निवासी फन्ने खां का मानना है कि तमाम मौजूदा और भावी नेता या तो खुद पेचिस का शिकार हो गए हैं या फिर मर्ज की दवा तलाशने हिमायल की ओर कूच कर गए हैं। क्योंकि दूषित जल के बारे में किसी अफसर को कहने की हिम्मत इनमें है नहीं और शिकायती पत्र के कोरे दो शब्द लिखने का साहस जुटाना आपे से बाहर हैं।
दूषित जल से होता है डायरिया, बचें
डायरिया यानी उलटी दस्त लगना दूषित जल से होता है। बरसात में डायरिया होने की संभावना ज्यादा होती है। ऐसे में दूषित जल को पीने से बचें। इसका सबसे अच्छा उपाय ये है कि पानी की उबाल कर पिएं। अगर आपने आरओ लगाया है तो उसकी जांच करा लें। किसी नेता या भावी नेता का इंतजार ना करें। अगर आपके क्षेत्र में दूषित जल आ रहा है तो इसकी शिकायत जल संस्थान या फिर संबंधित विभाग को करें। वहीं किसी झोला छाप के चक्कर में ना आएं। सरकारी या अच्छे निजी अस्पताल में ही इलाज कराएं।
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