4 महीने पहले ‘उर्स’ से लापता हुआ 9 साल का मासूम मुंबई में मिला, हरिद्वार पुलिस ने पेश की मिसाल-

4 महीने पहले ‘उर्स’ से लापता हुआ 9 साल का मासूम मुंबई में मिला, हरिद्वार पुलिस ने पेश की मिसाल-

अतीक साबरी:-​पिरान कलियर (हरिद्वार)24 दिसंबर, 2025​हरिद्वार पुलिस ने ‘पतारसी-सुराग रसी’ और अपने मजबूत सूचना तंत्र की मदद से एक ऐसा काम कर दिखाया है, जिसकी चारों ओर सराहना हो रही है। पिरान कलियर उर्स मेले के दौरान लापता हुए 9 साल के मासूम फैजान को पुलिस ने 4 महीने की कड़ी मशक्कत के बाद मायानगरी मुंबई से सकुशल बरामद कर उसके परिजनों को सौंप दिया है।​

क्या था पूरा मामला

बीती 17 अगस्त 2025 को मेरठ (यूपी) निवासी मोहम्मद नूर अपने परिवार और 9 वर्षीय बेटे फैजान के साथ पिरान कलियर दरगाह में जियारत के लिए आए थे। इसी दौरान भीड़भाड़ में फैजान अचानक लापता हो गया। पिता की तहरीर पर थानाध्यक्ष रविन्द्र कुमार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल मुकदमा अपराध संख्या 239/2025 दर्ज कर बालक की तलाश शुरू करवाई।​

कैसे मिली सफलता?​

बालक के पास मोबाइल न होने के कारण यह मामला पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती था। विवेचक अ0उ0नि0 सूरज नेगी ने हार नहीं मानी। सीसीटीवी फुटेज, सोशल मीडिया, पोस्टर और देशभर के शेल्टर होम से संपर्क साधने के बाद भी जब कुछ पता नहीं चला, तो परिजनों ने भी आस छोड़ दी थी।​लेकिन पुलिस की टीम लगातार सुराग जुटाती रही।

आखिरकार, मेहनत रंग लाई और बालक का सुराग मुंबई में मिला। हरिद्वार पुलिस की टीम मुंबई स्थित ‘बी.जे. होम फॉर चिल्ड्रन, माटुंगा’ पहुँची, जहाँ बालक की शिनाख्त फैजान के रूप में हुई।​चप्पल खोने के डर से भागा था मासूम​पूछताछ में फैजान ने बताया कि मेले में उसकी चप्पल खो गई थी।

पिता की डांट के डर से वह घबरा गया और रेलवे स्टेशन पहुंचकर ट्रेन में बैठ गया, जो उसे सीधे मुंबई ले गई। राहत की बात यह रही कि बालक के साथ इस दौरान कोई अनहोनी या अपराध नहीं हुआ।​परिजनों की आँखों में आए खुशी के आँसू​आज जब 4 महीने बाद पिरान कलियर थाने में पिता मोहम्मद नूर को उनका खोया हुआ बेटा वापस मिला, तो उनकी आँखों से खुशी के आँसू छलक पड़े। परिजनों ने हरिद्वार पुलिस के इस नेक कार्य और अटूट प्रयासों के लिए दिल से धन्यवाद दिया।​सराहनीय भूमिका निभाने वाली पुलिस टीम:​रविन्द्र कुमार (थानाध्यक्ष, पिरान कलियर)​सूरज सिंह नेगी (अतिरिक्त उप-निरीक्षक/विवेचक)​हेड कांस्टेबल कुम्पाल तोमर​कांस्टेबल जितेन्द्र रावत और भादूराम

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