नामी बैंकिग कंपनी के मालिक को हरिद्वार में लगाया पचास लाख का चूना, बैंक मैनेजर ने कराया केस दर्ज
अतीक साबरी।
ICICI बैंक की हरिद्वार शाखा में एक बड़े धोखाधड़ी और प्रतिरूपण (Impersonation) का मामला सामने आया है। कैश फ्री पेमेंट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक, श्री आकाश सिन्हा के कंपनी खाते से जुड़े डेबिट कार्ड का उपयोग कर लगभग ₹50 लाख की अनधिकृत खरीदारी और नकद निकासी की गई है। शिकायत के आधार पर, बैंक की आंतरिक जांच में पता चला है कि धोखाधड़ी करने वाले व्यक्ति ने स्वयं को आकाश सिन्हा बताकर, फर्जी आधार कार्ड की प्रति प्रस्तुत कर बैंक शाखा से डेबिट कार्ड प्राप्त किया था।
शिकायत और बैंक की जाँच
ICICI बैंक को शिकायत प्राप्त हुई कि कंपनी के खाते (खाता संख्या 004705500626) से जारी किया गया डेबिट कार्ड किसी अन्य व्यक्ति ने शाखा से प्राप्त कर लिया है। श्री सिन्हा ने स्पष्ट किया कि उन्होंने किसी को अपने आधार की प्रति नहीं दी थी और न ही डेबिट कार्ड प्राप्त करने के लिए बैंक में कोई आवेदन किया था।
शिकायत के बाद बैंक द्वारा की गई जांच में यह सामने आया कि आकाश सिन्हा के नाम से आया डेबिट कार्ड 22 जुलाई 2025 को हरिद्वार के दिल्ली रोड शाखा से एक व्यक्ति ने प्राप्त किया। इस व्यक्ति ने अपनी पहचान आकाश सिन्हा बताते हुए आधार कार्ड की प्रति प्रस्तुत की, जिस पर पता ‘C/O रमेश गुप्ता, राम धाम कॉलोनी, नियर शिवालिक नगर, रावली महदूद बहादराबाद हरिद्वार उत्तराखंड’ अंकित था। इसी आधार पर बैंक ने उसे कार्ड सौंप दिया।₹50 लाख की हेराफेरी और आरोपी की पहचानडेबिट कार्ड प्राप्त करने वाले व्यक्ति ने इस कार्ड का उपयोग करके विभिन्न माध्यमों से लगभग ₹50 लाख की धोखाधड़ी को अंजाम दिया।
बैंक ने जब धोखाधड़ी की इस घटना में शामिल व्यक्ति की तस्वीरें स्थानीय ग्राहकों को दिखाईं, तो उसकी पहचान हुई। ग्राहकों ने बताया कि डेबिट कार्ड प्राप्त करने वाला व्यक्ति ध्रुव त्यागी नाम का कोई व्यक्ति है।इस कृत्य को धोखाधड़ी (Fraud) और छल पूर्वक (Deceit) बैंक के समक्ष कूटरचित दस्तावेज (Forged Documents) प्रस्तुत कर अनुचित लाभ (Undue Gain) प्राप्त करने की मंशा से किया गया माना जा रहा है।
ICICI बैंक ने इस संबंध में सुसंगत धाराओं के तहत अभियोग पंजीकृत कर विधिक कार्यवाही किए जाने हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करने का अनुरोध किया है।
पुलिस अब ध्रुव त्यागी की तलाश कर रही है और इस पूरे मामले की गहनता से जांच कर रही है कि इस धोखाधड़ी में और कौन-कौन शामिल हो सकते हैं और नकली आधार कार्ड कहाँ से प्राप्त किया गया। यह घटना बैंक और ग्राहकों दोनों के लिए पहचान सत्यापन और सुरक्षा प्रोटोकॉल पर गंभीर सवाल खड़े करती है।