हिंदी पत्रकारिता: 200 साल होने पर भव्य कार्यक्रम की तैयारी, अध्यक्ष धर्मेंद्र चौधरी के नेतृत्व में एक और सफल कार्यक्रम के लिए प्रेस क्लब तैयार

हिंदी पत्रकारिता: 200 साल होने पर भव्य कार्यक्रम की तैयारी, अध्यक्ष धर्मेंद्र चौधरी के नेतृत्व में एक और सफल कार्यक्रम के लिए प्रेस क्लब तैयार
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हरिद्वार प्रेस क्लब के अध्यक्ष धर्मेंद्र चौधरी ने कहा पत्रकारिता ने स्वतंत्रता के संघर्ष की कोख से जन्म लिया है। पत्रकारिता की पहली चुनौती पुरुषार्थ है। दूसरी विश्वास एवं तीसरी भाषा की शुद्धता, पुष्ठ जानकारियां, तटस्थ दष्टिकोण एवं प्रवाहमान पत्रकारिता है। उन्होंने विद्यार्थियों को खूब अध्ययन करने, शुद्ध हिंदी लिखने,हिंदी के साथ ही अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान होने की बात कही। कहा कि वे पत्रकार बनकर स्वार्थी, अवसरवादी एवं अहंकारी कभी ना बनें। साथ ही उन्होंने कहा कि ज्ञान जहां से मिले, जैसे मिले, जिस भाषा में मिले उसे प्राप्त कर लेना चाहिए।


बताते चलें कि पत्रकारों की सम्मानित संस्था प्रेस क्लब (रजि) हरिद्वार हिंदी पत्रकारिता के 200 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में हिंदी पत्रकारिता द्विशताब्दी समारोह धूमधाम से मनाने जा रहा है। वर्ष भर चलने वाले कार्यक्रमों की श्रंखला का शुभारंभ सोमवार, 11अगस्त 25 को प्रेस क्लब हरिद्वार के सभागार


व्याख्यान माला के साथ शुरू होने जा रहा है। जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर एनयूजे, आई के राष्ट्रीय अध्यक्ष रास बिहारी एवं मुख्य वक्ता माधवराव स्प्रे संग्रहालय, भोपाल के संस्थापक विजयदत्त श्रीधर मौजूद रहेंगे।


गोष्ठी का शुभारंभ पत्रकारिता के शिखर पुरुष जुगल किशोर शुक्ल को पुष्पांजलि के साथ होगा। कार्यक्रम संयोजक डॉ शिवा अग्रवाल ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता आज अपने 200 वर्ष में प्रवेश कर रही है, जिसका श्रेय पंडित जुगल किशोर शुक्ल को है. जिन्होंने 30 मई 1826 को कलकत्ता आज के कोलकाता में “उदंत मार्तण्ड ” का प्रकाशन शुरू किया था। हिंदी के पहले साप्ताहिक पत्र के प्रकाशक आदि संपादक पं जुगल किशोर शुक्ल थे। उनके पत्र का नाम उदंत मार्तंड था. हिंदी पत्रकारिता के इतिहास में उदंत मार्तंड का अपना विशिष्ट स्थान रहा है। हिंदी पत्रकारिता ने 200 वर्षों का सफर पूरा किया है।

200 वर्षों में अंग्रेजी शासकों के विरुद्ध स्वतंत्रता संग्राम और नए भारत के निर्माण में समाचार पत्र की अग्रणी भूमिका रही है। समाचार पत्रों के संपादकों ने अंग्रेजी शासकों की प्रताड़ना के बाद भी पत्रकारिता की साख और गरिमा को बनाए रखा, जो आज भी जारी है।उदंत मार्तंड के नियमित प्रकाशित करने में संपादक शुक्ल जी को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वरिष्ठ पत्रकार गुलशन नैय्यर ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता में अवसर एवं चुनौती एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। यदि धर्म के रुप पत्रकारिता को धारण किया जाता है तो यह बहुत अच्छा है।