विकास कुमार/अतीक साबरी।
हरीश रावत भारत जोडो हरिद्वार जिंदाबाद यात्रा निकाल रहे हैं। इस यात्रा को हरीश रावत के लोकसभा चुनाव लडने के सियासी मकसद के तौर पर देखा जा रह है। हालांकि, भारत जोडने की बात करने वाली उत्तराखण्ड कांग्रेस बुरी तरह टूटी हुई है। प्रीतम सिंह अलग शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं तो हरीश रावत हरिद्वार में यात्रा निकाल पुराने तिलों में से तेल निकालने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन बडा सवाल ये है कि क्या इस यात्रा से हरीश रावत को फायदा होगा या फिर कोई नया चेहरा लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा। इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार क्या कहते हैं Harish Rawat Bharat Jodo Yatra
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हरीश का सियासी स्टंट या कुछ ओर
वरिष्ठ पत्रकार रतनमणी डोभाल हरीश ने कहा कि ये यात्रा और कुछ नहीं महज हरीश रावत का सियासी स्टंट है। कुछ समय पहले पंचायत चुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस के पांच विधायक होने के बाद भी यहां ना तो कांग्रेस संगठन ने कुछ किया और हरीश रावत भी बहाना बनाकर बैठ गए। नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस के उम्मीदवार अकेले लडते जूझते रहे। जब पंचायत चुनाव में बिना न्यौते के हरीश रावत नहीं आ सकते तो उन्हें बताना चाहिए कि इस यात्रा का न्यौता उन्हें मिला या फिर हरीश रावत को जिंदा रखने के लिए ये यात्रा निकाल रहे हैं। क्योंकि ये यात्रा कांग्रेस के लिए तो बिल्कुल भी नहीं है। भारत जोडो की बात करने वाले हरीश रावत उत्तराखण्ड में कांग्रेस को क्यों नहीं जोड रहे हैं। मेरे अनुसार हरीश रावत को अब समझना चाहिए कि वो जिस तरह की राजनीति कर रहे हैं, उससे सिवाय नुकसान के कुछ हासिल नहीं होगा। पहले तो उन्हें खुद चुनाव नहीं लडना चाहिए और वो अडे भी तो पार्टी को उन्हें नहीं किसी नए चेहरे पर दांव लगाना चाहिए।
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भारत जोडो से पहले कांग्रेस जोडो करना चाहिए
वरिष्ठ पत्रकार अवनीश प्रेमी ने बताया कि उत्तराखण्ड में कांग्रेस के नेता कांग्रेस के लिए नहीं बल्कि अपने के लिए काम करते नजर आ रहे हैं। प्रीतम सिंह अकेले ही शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। जबकि हरीश रावत हरिद्वार में भारत जोडो का झंडा उठाकर चल रहे हैं। ये साफ तौर पर गुटबाजी को दर्शाता है। ये भी सही है कि पंचायत चुनाव में कांग्रेस केा अकेला छोडने वाले कांग्रेस नेताओं में हरीश रावत की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी बनती है। हरीश रावत को यात्रा से पहले आत्ममंथन करना चाहिए, महज यात्रा निकालने से कुछ नहीं होगा।
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क्या कांग्रेस में जुडाव है
प्रेस क्लब हरिद्वार के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार राजेश शर्मा ने बताया कि भारत तो जुड ही जाएगा लेकिन सबसे ज्यादा मेहनत कांग्रेस के जुडाव की है। फिलहाल कांग्रेस गुटों में बंटी हुई है, इससे कांग्रेस कमजोर हो रही है। मुझे लगता है कि राहुल गांधी जितनी मेहनत कर रहे हैं उत्तराखण्ड कांग्रेस में गुटबाजी उनके प्रयासों को धक्का लगा रही है। जहां तक हरीश रावत के चुनाव लडने की बात है तो हरीश रावत कई चुनाव हरिद्वार से हार चुके हैं। ऐसे में उन्हें व्यापक मंथन और चिंतन करने की जरुरत है। साथ ही कांग्रेस को भी ये देखना चाहिए कि क्या हरीश रावत उसके लिए बेहतर हो सकते हैं या फिर कोई दूसरा चेहरा।