बिंदिया गोस्वामी/फरमान खान/अतीक साबरी।
कांग्रेस की दूसरी सूची आने के बाद हरिद्वार के देहात इलाकों में बसपा उभरती हुई नजर आ रही है। इनमें लक्सर, खानपुर, मंगलौर, झबरेडा, भगवानपुर और ज्वालापुर शामिल हैं। इसके अलावा कलियर में भी इसका असर देखने को मिल सकता है।
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लक्सर सीट पर क्या है समीकरण
लक्सर सीट पर कांग्रेस ने अंतरिक्ष सैनी को उम्मीदवार बनाया है। यहां से बसपा के मौहम्मद शहजाद दलित—मुस्लिम समीकरण के आधार पर लड रहे हैं। शहजाद पूर्व में दो बार विधायक रह चुके हैं और ये संयोग है कि जब भी सैनी उम्मीदवार उनके सामने होता है तो वो बढत बना लेते हैं। वहीं लक्सर से कुशलपाल सैनी और संजय सैनी भी टिकट मांग रहे थे लेकिन अंतरिक्ष सैनी को टिकट दिया गया है। उनके सामने सैनी के अलावा दूसरी हिंदू बिरादरी और मुस्लिम वोट बैंक की जरुरत होगी, जो कठिन काम है लेकिन असंभव नहीं है।
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खानपुर पर सुभाष चौधरी बाहरी—स्थानीय से जुझेंगे
वहीं खानपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने सुभाष चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। जिसके बाद खानपुर में स्थानीय कांग्रेस नेता नाराज हो गए हैं। इनमें सुभाष वर्मा, जितेंद्र पंवार व अन्य शामिल हैं। यहां से बसपा के रविंद्र पनियाला मैदान में हैं और अब वो स्थानीय मुद्दों को लेकर बसपा के दलित वोट बैंक और मुस्लिमों को अपने पाले में लाने में कामयाब हो सकते हैं। सुभाष चौधरी हालांकि लक्सर से भी चुनाव लडे थे लेकिन उनको हार मिली थी।
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झबरेड़ा में क्या हो सकता है
झबरेडा में कांग्रेस ने विरेंद्र जाती को उम्मीदवार बनाया है। विरेंद्र जाती काफी समय से क्षेत्र में सक्रिय हैं। यहां भाजपा ने अभी तक टिकट फाइनल नहीं किया है। देशराज कर्णवाल के खिलाफ एंटी इंकम्बेसी है। लेकिन यहां बसपा ने पूर्व विधायक हरिदास के बेटे को मैदान में उतारा है जो जमीन से जुडे है। इसलिए यहां बसपा मजबूती के साथ चुनाव लड रही है।
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भगवानपुर में देवर ने बसपा में आकर बदला समीकरण
भगवानपुर में कांग्रेस की मौजूदा विधायक ममता राकेश हैं और पिछले चुनाव में उन्होंने अपने देवर सुबोध राकेश को हराया था। सुबोध भाजपा में थे लेकिन अब बसपा में आ गए हैं। बसपा में आने के बाद दलित और मुस्लिम वोटों में विभाजन होगा। लेकिन बसपा में आने के बाद सुबोध मजबूत हुए हैं। यहां से भाजपा के मास्टर सत्यपाल भी मैदान में डटे हैं।
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मंगलौर पर आस—पास की सीटों का असर
मंगलौर पर कांग्रेस की काजी निजामुद्दीन हैं जो बडे नेता है। लेकिन खानपुर, लक्सर, झबरेडा और भगवानपुर में बसपा के मजबूती से चुनाव लडने का असर मंगलौर पर दिखने को मिल सकता है। यहां बसपा के पूर्व विधायक सरवत करीम अंसारी मैदान में हैं जो एक मजबूत उम्मीदवार हैं। अंसारी वोट मंगलौर में सबसे ज्यादा हैं। ऐसे में दलित वोट बसपा पर शिफ्ट हुआ तो काजी को नुकसान हो सकता है।
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ज्वालापुर और कलियर
ज्वालापुर में बरखा रानी के आने के यहां भी बसपा मजबूत नजर आने लगी है। ज्वालापुर में बरखा रानी के खिलाफ अन्यों ने बगावत कर दी है। भाजपा के सुरेश राठौर का भी यहां विरोध है। ऐसे में निर्दलीय कांग्रेसी आते हैं तो यहां बसपा को बढत मिल सकती है। वहीं कलियर के बसपा प्रत्याशी सुरेंद्र सैनी को भी आस—पास की सीटों पर बसपा के असर का फायदा मिल सकता है। सुरेंद्र सैनी सैनी, दलित और मुस्लिम वोट बैंक के सहारे हैं। लेकिन यहां कांग्रेस के फुरकान अहमद बसपा के शहजाद के लक्सर में शिफ्ट होने के बाद मजबूती से खडे हैं।
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क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार
वरिष्ठ पत्रकार रतनमणी डोभाल बताते हैं कि कांग्रेस ने जिस तरीके से देहात में टिकट विरतण किया है। उससे बसपा को बढत बनाने का मौका मिल गया है। हालांकि इसमें बसपा कितना सफल हो पाती है। ये आने वाला समय बताएगा। लेकिन फिलहाल मुकाबला त्रिकोणीय बन गया है और बसपा का कई सीटों पर असर दिखा सकती है।
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