विकास कुमार।
2017 के चुनाव में मौजूदा मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद से हारने वाले हरीश रावत इस बार हरिद्वार ग्रामीण से दोबारा स्वामी यतीश्वरानंद से दो—दो हाथ करने से किनारा करते नजर आ रहे हैं। हालांकि हाईकमान ने हरिद्वार ग्रामीण सीट पर आखिरी फैसला हरीश रावत पर छोड दिया है। लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हरीश रावत हरिद्वार ग्रामीण के बजाए रामनगर या फिर कुमाउं की किसी अन्य सीट से चुनाव लडने के इच्छुक नजर आ रहे हैं।
लेकिन सबसे बडा सवाल आखिर फिर वही कि हरीश रावत हरिद्वार ग्रामीण पर आने से क्यों घबरा रहे हैं। क्या वो यहां से जीत के प्रति आश्वस्त नहीं है या फिर उन्हें फिर से धोखा खाने का डर सता रहा है। हालांकि इस बार बसपा से चुनाव लडने वाले मुकर्रम अंसारी कांग्रेस में आ चुके हैं और दूसरा कोई दावेदार नहीं है। मौजूदा बसपा का उम्मीदवार भी जातीय गणित को नुकसान पहुंचाते नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसे में क्या कारण है कि हरीश रावत हरिद्वार ग्रामीण आने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
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हरीश रावत आएंगे तो होगा कड़ा मुकाबाल
हरिद्वार ग्रामीण से हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत भी टिकट मांग रही है। लेकिन अनुपमा रावत को स्थानीय लोग ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे हैं। बाकी दूसरे दावेदारी भी वजनदार साबित नहीं हो रहे हैं। ऐसे में हरिद्वार ग्रामीण पर अगर हरीश रावत खुद आते स्वामी को चुनौती मिल सकती है और एक अच्छा मुकाबला हरिद्वार ग्रामीण पर देखने को मिलेगा। एक सीनियर कांग्रेसी नेता ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि मैंने हरीश रावत को हरिद्वार ग्रामीण से चुनाव लडने के लिए कहा था और जीत की जिम्मेदारी भी ली थी। लेकिन हरीश रावत बहुत ज्यादा रिसपांस नहीं दिया है। हालांकि अभी टिकट फाइनल नहीं हुआ है और हरीश रावत कब मलंग बाबा की तरह हरिद्वार ग्रामीण पर आकर बैठ जाए कोई नहीं जानता।
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