Haridwar Loksabha Seat क्या किसी संत को मिलेगा हरिद्वार से टिकट, क्या कारण है जो हो रहा ​विरोध

Haridwar Loksabha Seat

केडी।
हरिद्वार अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव में हरिद्वार सीट से संत को प्रत्याक्षी बनाने की दमदार पैरवी ने राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी के माथे पर चिंता की लकीर खींचकर रख दी है। दरअसल, चिंता इस बात की है कि हरिद्वार सीट पर संत समाज के मतदाताओं की संख्या न के ही बरार है, ऐसे में संत को टिकट देना कहां तक मुफीद रहेगा, इस पर मनन-मंथन का दौर जारी है। जहां संत समाज के मत बेहद ही कम है वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम मतदाताओं का आंकड़ा पांच लाख की रेखा को पार कर चुका है। इन हालात में संत को प्रत्याशी बनाए जाने पर पेंच भी फंस सकता है, हालांकि शीर्ष नेतृत्व ने अभी इस तरफ इशारा नहीं किया है।

लोकसभा क्षेत्र पर निगाह डाले तो हरिद्वार-ऋषिकेश में फैले आश्रम, मठ और मंदिरों में महत 15 हजार ही मतदाता है। रविवार को सम्पन्न हुई भाजपा की कोर कमेटी की बैठक में हरिद्वार सीट भी छाई रही। हाल ही में चार दिन पूर्व हुई एक गोपनीय बैठक में भी संत समाज की कम मतदाता होने का मुददा उठ चुका है। कोर कमेटी में पहुंचे भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दो घंटे से अधिक चली बैठक में संगठन की मजबूती पर अधिक जोर दिया। यही नहीं लोकसभा चुनाव की रणनीति को लेकर भी कार्यकर्ताओं की थाह ली। गौरतलब है कि सिर पर आ खड़े हुए लोकसभा चुनाव में संत को प्रत्याशी बनाने की मांग अखाड़ों से जुड़े महामंडलेश्वरों से लेकर अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रविंद्र पुरी तक कर चुके है।

1991 में पहली बार संत विधायक
नब्बे के दशक में कुंभनगरी से संत जगदीश मुनि भाजपा से विधायक चुने गए। उन्होंने कददावर नेता स्वर्गीय अंबरीष कुमार को शिकस्त दी थी। भाजपा विधायक को 48,728 वोट मिले थे। दो साल के अंतराल में फिर से हुए चुनाव में दुबारा 60 हजार मत पाकर मुनि विधायक चुने गए थे। 1996 में हुए चुनाव में भी 51 हजार वोट मिलने के बाववूद भी सपा प्रत्याशी अंबरीष कुमार से चुनाव हार गए थे। उसके बाद वर्ष 2002 में राज्य गठन के बाद हुए पहले चुनाव में भाजपा प्रत्याशी मदन कौशिक ने अंबरीष कुमार को धूल चटाई, जिसके बाद से सीट पर उन्हीं का कब्जा बना हुआ है।


फिर भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यतींद्रानंद गिरी पर दांव खेला लेकिन वे चित हो गए। उन्हें खांटी कांग्रेसी हरीश रावत से 1.27 लाख मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा, यह सीट के सामान्य होने के बाद से पहला चुनाव था।
रावत एक बार सांसद चुने गए, उसके बाद सीट भाजपा के खाते में ही है। कांग्रेस ने भी विधानसभा से लेकर नगर निगम चुनाव में संतों को मैदान में उतारा लेकिन उनके हिस्से हार आई।

किसके कितने है वोट
मुस्लिम- 5.10 लाख
पर्वतीय- 4.50 लाख
दलित- 4.40 लाख
सैनी- 1 लाख
गुर्ज्जर और जाट- 1.50 लाख
संत- 15 हजार
अन्य – 1.75 लाख
00
कुल वोट 1840738

हरिद्वार से यह रहे सांसद

1977 में भगवान दास- बीएलडी (भारतीय लोक दल)
1980 में जगपाल सिंह- जनता दल (सेक्युलर)
1984 में सुंदर लाल- कांग्रेस
1989 में जगपाल सिंह- कांग्रेस
1991 में राम सिंह- भाजपा
1996 में हरपाल साथी- भाजपा
1998 में हरपाल साथी- भाजपा
1999 में हरपाल साथी- भाजपा
2004 में राजेंद्र कुमार बाड़ी- सपा
2009 में हरीश रावत- कांग्रेस
2014 में डॉ. रमेश पोखियाल निशंक- भाजपा
2019 में डॉ. रमेश पोखियाल निशंक- भाजपा

Share News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *