चंद्रशेखर जोशी।
हरिद्वार में दलित वोट बैंक में खासा प्रभाव रखने वाली भीम आर्मी पर कांग्रेस—बसपा सहित भाजपा की नजरें हैं। भीम आर्मी का दलित वोट बैंक खासतौर पर युवाओं में अच्छा प्रभाव है और भीम आर्मी अपने एक लाख से अधिक सक्रिय सदस्य जनपद में बताती है। हालांकि, भीम आर्मी ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन भीम आर्मी की पहली पसंद बसपा है। वहीं भीम आर्मी हरिद्वार में छह अप्रैल को होने वाली बसपा सुप्रीमो बहन मायावती की रैली के बाद अपना आखिरी फैसला लेगी। लेकिन, कांग्रेस और बसपा दोनों ही दल भीम आर्मी को लुभाने की बात कह रहे हैं।
भीम आर्मी के जिला महासचिव विकास रवि ने बताया कि जनपद में चार लाख से अधिक दलित वोटर हैं। जबकि हमारे साथ एक लाख से अधिक सदस्य हैं जिनमें युवाओं की संख्या ज्यादा है। जहां तक राजनीतिक पार्टी को समर्थन देने की बात हैं तो हमारी राजनीतिक पार्टी बसपा है और भीम आर्मी हमारा सामाजिक संगठन है। भीम आर्मी के सदस्यों की पहली पसंद बसपा है। लेकिन हमारा एक मात्र मकसद भाजपा को हराना है। भाजपा को हराने के लिए हमें कोई और विकल्प भी तलाशना पडा तो हम पीछे नहीं हटेंगे।
उन्होंने बताया कि बसपा की छह अप्रैल को होने वाली रैली के बाद हम अपना फाइनल फैसला लेंगे।
भीम आर्मी के मीडिया कोर्डिनेटर ने भी इसी तरह का दावा किया है। हालांकि दूसरा विकल्प कांग्रेस ही हो सकता है लेकिन अभी तक भीम आर्मी ने अपने पत्ते नही खोले हैं। भीम आर्मी बसपा की ताकत को आंकना चाहती है। चूंकि, बसपा प्रत्याशी अंतरिक्ष सैनी दलित वोट बैंक के साथ—साथ सैनी और मुस्लिम अपने साथ होने का दावा कर रहे हैं। जबकि सैनी परपरांगत रूप से भाजपा का वोट बैंक है और मुस्लिम वोट बैंक भी अभी तक खामोश ही नजर आ रहा है।
उधर, कांग्रेस ने भीम आर्मी का समर्थन मिलने का दावा किया है। कांग्रेस की ओर से देहात क्षेत्र में भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर रावण के भाई को अपने मंच पर लाकर ये संदेश देने की कोशिश की है कि भीम आर्मी का साथ कांग्रेस के हाथ के साथ हैं। लेकिन, भीम आर्मी के दूसरे पदाधिकारियों ने अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं। लिहाजा, बसपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों की नींद हराम हो रखी हैं। वहीं भाजपा भी इस चिंता में है कि भीम आर्मी का समर्थन कांग्रेस को मिला तो ये उनके खिलाफ मुसीबत का सबब हो सकता है। इसलिए तीनों ही दलों के नेताओं की नजर भीम आर्मी के फैसले पर टिकी हैं।
