हेमा भण्डारी।
केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने मंत्री बनने के बाद छात्रों और गुरुओं के बीच गुरु—शिष्य परपंरा को मजबूत करने के लिए गुरु पूर्णिमा के मौके पर सेल्फी विद गुरुजी अभियान शुरू किया था। साथ ही वीडियो जारी कर सभी से खासतौर पर छात्रों से अपील की थी कि अपनी गुरु के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए वो गुरु के साथ सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर अपलोड करे। इसमें ये भी कहा गया था कि ये जरूरी नहीं है कि कोई टीचर ही गुरु हो, बल्कि जीवन में जिससे में कुछ सीखने को मिला हो उसके साथ सेल्फी ली जा सकती है।
मंत्रालय की इस कोशिश मीडिया की सुर्खियां भी बनी थी लेकिन ना तो गुरुओं ने इसे गंभीरता से लिया और ना ही छात्रों ने डा. निशंक की बातें सुनी। गुरु पूर्णिमा पर सेल्फीविद गुरु जी अभियान पूरी तरह फ्लॉप रहा। पूरे देश में ही नहीं बल्कि हरिद्वार जहां से डा. रमेश पोखरियाल निशंक दूसरी बार सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे वहां के लोगों ने भी अपने सांसद की बात नहीं सुनी।
वरिष्ठ पत्रकार जोगेंद्र सिंह मावी ने बताया कि गुरु पूर्णिमा पर अभियान सेल्फी विद गुरुजी पूरी तरह फ्लॉप रहा। डा. निशंक छात्रों का ध्यान आकर्षित करने में कामयाब नहीं दिखे। ये इसलिए भी हो सकता है कि यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में जहां छात्र शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं और वहीं रोजगार को लेकर भी नौजवानों में बहुत ज्यादा उत्साह नहीं दिख रहा है। लिहाजा, मंत्रालय को ऐसे अभियानों से ज्यादा शिक्षा का स्तर सुधारने और शिक्षकों की कमी को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। उत्तराखण्ड के पिथौरागढ में शिक्षक पुस्तक आंदोलन चल रहा है। बेहतर होता डा. निशंक इस संबंध में राज्य सरकार से बात कर समस्या का समाधान करते।
वहीं एसएमजेएन कॉलेज के प्राचार्य डा. सुनील बत्रा ने बताया कि ये बात सही है कि ज्यादा उत्साह छात्रों में नहीं नजर आया। हमने जितना हो सकता था छात्रों को प्रेरित किया। इसका ये भी कारण हो सकता है कि सभी को इसी सूचना नहीं मिल पाई। सूचना के अभाव में छात्र अपने गुरुओं के साथ सेल्फी नहीं ले पाए हो।