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नड्डा-निशंक की सपोर्ट के बाद भी जमीनी नेता क्यों नहीं बन पाए सहगल बंधु, क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार


चंद्रशेखर जोशी।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से सीधा संपर्क और  केंद्रीय शिक्षा मंत्री और उत्तराखण्ड के कद्दावर नेता डा. रमेश पोखरियाल निशंक के समर्थन के बावजूद भाजपा नेता संजय सहगल और उनके भाई पंकज सहगल हरिद्वार की राजनीति में हाशिये पर क्यों नजर आते हैं। क्यों वो जमीन के नेता नहीं बन पाए, क्या लोग उनसे किनारा करते हैं या फिर हरिद्वार में मंत्री मदन कौशिक की अतिसक्रियता के कारण कोई और नेता उभर नहीं पाता। हालांकि हाल ही में संजय सहगल को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के हरिद्वार दौरे से एन वक्त पहले सरकार में राज्य मंत्री बनाया गया था, और जेपी नड्डा सहगल परिवार से मिलने उनके घर भी गए थे। वहीं पंकज सहगल भी राज्य मंत्री रह चुके हैं।

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क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार
वरिष्ठ पत्रकार रजनीकांत शुक्ला बताते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं कि पंकज सहगल और संजय सहगल दोनों ही के पार्टी में वरिष्ठ नेताओं से अच्छे रिश्ते हैं लेकिन जननेता बनने के लिए सिर्फ अच्छे रिश्ते होना काफी नही है। जब तक लोगों से जुडाव नहीं होगा या फिर जनता के मुद्दों पर जनसंघर्ष नहीं किया जाएगा तब तक कोई भी जनता का नेता नहीं बन सकता है। सहगल बंधुओं की राजनीति में इसकी बेहद कमी है वो कभी जनता से खुद को कनेक्ट नहीं कर पाए। जनता से दूरी ही उनके हरिद्वार की राजनीति में हाशिये पर होने का बड़ा कारण है।
वरिष्ठ पत्रकार आदेश त्यागी बताते हैं कि पंकज सहगल और संजय सहगल दोनों सुलझे हुए नेता है लेकिन जननेता क्यों नहीं बन पाए ये समझ से परे हैं। असल में जननेता बनने के लिए जनता के बीच रहना पडता है, उनके सुख दुख का भागीदार बनना पडता है। इसके लिए काफी समय भी लगता है। जहां तक मदन कौशिक की अतिसक्रियता का सवाल है वो इतना बडा फेक्टर नहीं है। मदन कौशिक पर पार पाना मुश्किल है लेकिन असंभव बिल्कुल नहीं है।
वरिष्ठ पत्रकार दीपक मिश्रा बताते हैं कि दोनों भाजपा के सीनियर नेता है और भाजपा में सबकी अपनी जिम्मेदारी है। कुछ जमीन पर काम कर रहे हैं कुछ मैनेजमेंट में रहते हैं। हालांकि जमीन पर काम करना बेहद मुश्किल काम है और इसमें आपको अपना चैन सुकून छोडना पडता है। जनता आपके पास छोटे बडे काम के लिए आती है। आपको सब काम छोडकर उनकी बात सुननी होती है और जूझना होता है। पंकज सहगल और संजय सहगल अगर ऐसा कर पाएंगे तो वो भी जमीन के नेता बन जाएंगे।

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